
बिहार में हर दिन बढ़ते कोरोना संक्रमण और उस पर राज्य सरकार की कार्यशैली को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने कड़ी आपत्ति जताई है । शिवानी कौशिक की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अपनी नाराज़गी जताई और कहा कि कोरोना से निपटने में बिहार सरकार पूरी तरह नाकाम हो रही है, पूरी व्यवस्था ही ढेर हो चुकी है ।
जानकारों का मानना है कि सोमवार को प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर पटना उच्च न्यायालय की फटकार के बाद ही मंगलवार को राज्य भर में 15 मई तक के लिए लॉकडाउन लगाया गया है ।
बिहार में कोरोना के हर दिन बढ़ते संक्रमण को लेकर चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था पर कोर्ट की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में निरंतर ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर अब तक कोई ठोस एक्शन प्लान क्यों नहीं दिया गया है ।
अस्पतालों में बिस्तर और वेंटीलेटर की कमी है । वहीं केंद्रीय कोटा से हर दिन मिलने वाले 194 मीट्रिक टन की जगह 160 मीट्रिक टन ही क्यों आपूर्ति की जा रही है । कोर्ट के निर्देश के बावजूद इएसआई अस्पताल, बिहटा पूरी क्षमता के साथ नहीं चालू किया जा सका है ।
कोर्ट ने बिहार सरकार को क्या कहा
सरकार के पास डॉक्टर, वैज्ञानिक, अधिकारियों की कोई सलाहकारी समिति तक नहीं है जो अपने अनुभवी विचार इस महामारी से निपटने के लिए दे सके ।
ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर बार- बार निर्देश देने के बावजूद अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है ।
#COVID19 | Bihar reports 14,794 fresh COVID-19 cases in the last 24 hours; taking the total count of active cases to 1,10,430 pic.twitter.com/TLp6Gr4JwK
— ANI (@ANI) May 4, 2021
सरकार ने दावा किया कि प्रेशर स्विच के दो प्लांट अलग- अलग दो कोविड अस्पतालों में लगाये गए हैं, तो एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार वहां आज तक ऑक्सीजन उत्पादन शुरू नहीं हुआ है । सरकार की रिपोर्ट भ्रम फैलाने वाली थी ।
इन तमाम अव्यवस्थाओं के बीच कोर्ट के आदेश की अवहेलना और हर दिन औसत 12 हज़ार एक्टिव केस मिलने पर नाराज़ खंडपीठ ने यहाँ तक कह दिया कि या तो सरकार बेहतर निर्णय ले या फिर कोर्ट कोई बड़ा निर्णय लेने को बाध्य होगा ।
कोर्ट की नाराज़गी भरे निर्देश के बाद राज्य सरकार ने आनन-फ़ानन में पांच सदस्यों वाली एक्सपर्ट एडवाइज़री कमिटी गठित करने का निर्णय लिया है । इसके सदस्यों के नाम सोमवार को ही सौंप दिये गए हैं ।
इसपर कोर्ट ने अपनी सहमती देते हुए सरकार को आदेश दिया कि इन विशिष्ट जनों की सलाह को व्यावहारिक रूप से ज़मीन पर उतारने के लिए एक तेज़-तर्रार लोकसेवकों को भी कमिटी में शामिल किया जाना चाहिए ।
कोर्ट ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संदीप पौंड्रिक का नाम भी सुझाया ।