
बकेवर/फतेहपुर । देवमई गांव में चल रही बूढ़ेश्वर महादेव की दो दिवसीय रामलीला के अंतिम दिन रावण-बाणासुर व परशु राम-लक्ष्मण संवाद देखने के लिए भोर तक दर्शक डटे रहे ।
रामलीला के दूसरे दिन शुरुआत में क्षेत्रीय जहानाबाद विधायक राजेंद्र सिंह पटेल ने वहां पर उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए सरकार के कार्यों और राम चरित मानस के आदर्शो पर चलने की अपील की और कहा कि मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के आदर्शो को मानना और उन पर चलना चाहिए । ऐसे धार्मिक आयोजनों का होना भी बहुत जरूरी है । जिससे युवा पीढ़ी इन्हे देख सुनकर बहुत कुछ सीख सके,समय-समय पर रामलीला होती रहना चाहिए ऐसे आयोजनों से सकारात्मकता फैलती है ।
रामलीला मंचन के दौरान किसी राजा के धनुष नहीं तोड़ पाने पर जनक करुण विलाप करने लगे । यह दृश्य देख दर्शक भाव विभोर हो गए। कोई भी राजा शिव जी के धनुष को उठाना तो दूर कोई हिला तक न सका । पुत्री का विवाह होता न देख निराश हो जनक करुण विलाप करने लगे और कहा कि अब जनि कोऊ माखै भटमानी,वीर विहीन मही मैं जानी….
कहकर राजाओं को झकझोर दिया । उसके पश्चात विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्रीराम ने धनुष का खंडन कर दिया ।
धनुष टूटने पर हुई घनघोर गर्जना सुन तपस्या में लीन महर्षि परशुराम की तंद्रा भंग हो गई और वह मिथिलापुरी जा पहुंचे और राजा जनक से धनुष तोड़ने वाले के बारे में पूछते हुए कहा कहु जड़ जनक धनुष कै तोरा ।
राजा जनक को मौन देख परशुराम जी क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं कि धनुष तोड़ने वाले का नाम बताओ वर्ना अभी अनर्थ हो जाएगा । राम परशुराम को शांत करने का प्रयास करते हैं और कहते हैं कि नाथ शंभु धनु भंजनि हारा, हुइहै कोऊ एक दास तुम्हारा । यह कार्य वहीं कर सकता है । जिस पर आशीष ऋषि-मुनियों का होगा । लक्ष्मण के शब्द सुनकर परशुराम का क्रोध अधिक बढ़ जाता है और लक्ष्मण को मारने के लिए दौड़ते हैं ।
श्रीराम बीच में आ जाते हैं और परशुराम से क्षमा मांगते है। भ्रम दूर होने पर महर्षि परशुराम उनसे क्षमा याचना करते हुए तपस्या करने के लिए चले जाते हैं । भगवान राम के राज्या भिषेक के उपरांत रामलीला का समापन होता है ।
इस मौके पर राम जी तिवारी, आशुतोष अग्निहोत्री (पिंटू), सुधीर तिवारी,नरेश गुप्ता,मोनू अवस्थी,अभिषेक अवस्थी(गोलू) ,रामकिशोर कुशवाहा(मुनीम जी),राजकुमार कुशवाहा,दिलीप राय, रामू अवस्थी, दिनेश उर्फ गुरु प्रधान,अवधेश अवस्थी आदि लोगो के साथ भारी दर्शक मौजूद रहे ।