
कर्नाटक का चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों के बदले स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित हो गया था और कांग्रेस ने इसमें बाजी मार ली ।
बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार समझा जाने वाला कर्नाटक उसके हाथ से निकल गया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तूफानी कैंपेनिंग भी बीजेपी के इस दुर्ग को बचा नहीं पाई ।
कांग्रेस ने इस बार मुद्दों को पहचानने में अच्छी समझ दिखाई । कांग्रेस ने बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया ।
पार्टी ने जीतने पर महिलाओं के लिए जो योजनाएं लागू करने का वादा किया था उसका असर दिखा और कांग्रेस के पांच साल बाद दोबारा कर्नाटक की सत्ता में आने का रास्ता साफ हो गया ।