
हर घर भाई,हर घर सिपाही,
देखो राखी आयी, देखो राखी आयी ।
खुशहाली हज़ार लायी,
बहनो के लिए त्यौहार लायी ।
रंग बिरंगे धागे लेकर,
देखो राखी आयी, देखो राखी आयी ।
आंगन में चौक बनाएगी,
मंदिर सा उसे सजाएगी ।
वीर को तैयार करने,
बहन राखी लेकर आएगी ।
मज़हब का बैर हटाएगा,
जंग में,फौलाद बदन कर जाएगा,
घर हो,या सीमा देश की,
वीर सा लड़ जाएगा,
यकीनन मेरा भाई राखी का कर्ज़ चुकाएगा,हर जगह फ़र्ज निगाएगा, हर जगह फ़र्ज निभाएगा ।
– वैष्णवी सोनकर