
फतेहपुर । मुख्य विकासधिकारी पवन कुमार मीना के निर्देशानुसार नीति आयोग के मार्गदर्शन में वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी के संयुक्त प्रयास से वर्ष 2022 से संचालित परियोजना ‘जीवन के प्रथम 1000 दिवस’ का ग्राम मुचुआपुर और बिलंदपुर,ब्लॉक तेलियानी में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. इस्तियाक अहमद एवं अपर शोध अधिकारी स्वास्थ्य महेंद्र सिंह ने परियोजना के अंतर्गत हाई टच आँगनवाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया ।
आकांक्षी जनपद फतेहपुर में नीति आयोग के मार्गदर्शन में पिछले दो वर्षों से ‘जीवन के प्रथम 1000 दिवस’ परियोजना का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है ।
इस परियोजना का उद्देश्य गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष की उम्र तक के बच्चों के मानसिक,बौद्धिक,शारीरिक,सामाजिक और भावनात्मक विकास को प्रोत्साहित करना है ।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. इस्तियाक अहमद और अपर शोध अधिकारी महेंद्र सिंह ने ग्राम मुचुआपुर और बिलंदपुर के हाई टच आंगनवाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया । विक्रमशिला टीम की राज्य प्रमुख साक्षी पवार और वैन लीर फाउंडेशन के जिला समन्वयक अनुभव गर्ग ने परियोजना के उद्देश्यों और पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी निरीक्षण के दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रारंभिक बाल विकास के लिए बनाई गई संरचनाओं और संवेदनशील कोने को प्रदर्शित किया । ग्राम बिलंदपुर में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण दिवस के साथ परवरिश का आँगन गतिविधि का निरीक्षण किया गया ।
परियोजना टीम ने बताया की जीवन के प्रथम 1000 दिनों में संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के अवसरों में वृद्धि के सन्दर्भ में गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक की उम्र तक होने वाले मानसिक ,बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास के लिए लगातार पिछले दो वर्षो से आयोग के मार्गदर्शन में आकांक्षी जनपद फतेहपुर में एक विशेष नवाचार कार्यक्रम के माध्यम से स्वास्थय विभाग व बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के समन्वय से परियोजना का क्रियान्वन किया जा रहा है । इस क्षेत्रीय निरिक्षण के दौरान विक्रमशिला टीम की राज्य प्रमुख साक्षी पवार द्वारा मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को समस्त स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं,आशा बहुओं व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा गहन प्रशिक्षण के उपरांत किये जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी ।
निरीक्षण टीम के द्वारा सर्वप्रथम मुचुआपुर में आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों मीरा गुप्ता,प्रारंभिक बाल विकास विशेषज्ञ आर्यन कुशवाहा,साक्षी पावर,अंजलि,स्मृति श्री द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र में प्रारंभिक बाल विकास हेतु बनाई गई आकर्षक संरचनाये,प्रथम 1000 दिवस का संवेदनशील कोना प्रदर्शित किया ।
इसके बाद ग्राम बिलंदपुर में ग्राम स्वास्थ्य स्वक्षता एवं पोषण दिवस के साथ परवरिश का आँगन गतिविधि का निरिक्षण किया ।
इस दौरान परियोजना अधिकारी प्रशांत पंकज द्वारा गर्भवती, धात्री माताओं एवं 0 -2 वर्ष के बच्चों के देखभालकर्ताओं को दी जा रही जानकारी का अवलोकन किया ।
कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य एवं पोषण विशेषज्ञ सोनल रूबी राय द्वारा बाल संवेदनशील कोना एवं परियोजना अधिकारी अनामिका पांडेय द्वारा जीवन के प्रथम 1000 दिनों में संवेदनशील परवरिश के माध्यम से गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक की उम्र में होने वाले मानसिक,बौद्धिक,शारीरिक,सामाजिक एवं भावनात्मक विकास के बारे में समझाया ।
निरीक्षण के दौरान जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग व राज्य प्रमुख साक्षी पवार द्वारा न्यूरॉन्स के बनने व जुड़ने की प्रक्रिया को बड़े ही सरल तरीके से समझाया और टीकाकरण सत्र के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० इस्तियाक अहमद ने घर के वातावरण, गर्भावस्था के दौरान परिवार का जुड़ाव व बच्चे के जन्म के पश्चात उसके आसपास घट रही घटनाएं, संगीत के साथ-साथ संवेदनशील गतिविधियों को सेंसरी कोनो की स्थापना कर बच्चों के बौद्धिक व सामजिक विकास में सकारात्मक सहायता को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए टीकाकरण कार्ड को न केवल दस्तावेज अपितु सूचना,शिक्षा और संचार का महत्वपूर्ण माध्यम बताया ।
अपर शोध अधिकारी महेंद्र सिंह द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लक्ष्यों को तीव्र गति से प्राप्त करने में इन नवाचारों की भूमिका को अत्यंत आवश्यक बताया साथ ही उन्होंने क्रियान्वयन टीम के द्वारा प्रारम्भिक बाल्यावस्था के विकास के लिए अपने घर और आसपास के वातावरण में मौजूद चीजों से उनके लिए खेल सामाग्री तैयार करना जैसे की-पुराने रंगीन कपड़ों से मुलायम खिलौने बनाना,चित्र कार्ड बनाना इन खिलौनों के माध्यम से बच्चों को अलग अलग विकास के अनुभव देना आदि के प्रशिक्षण को आंगनबाड़ी कार्यकत्रि यों के लिए और भी प्राथमिकता के साथ करने का सुझाव दिया ।
निरिक्षण के दौरान बिलंदपुर आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत ए एन एम अर्पिता, सोमवती, आशा बहु सोमवती,आंगनबाड़ी कार्यकत्री शारदा देवी एवं नीलम द्वारा ने बताया की व्यक्तिगत एवं सामाजिक रूप से जीवन के प्रथम 1000 दिनों में गर्भकाल से लेकर दो वर्ष की उम्र तक आशाओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा जो परामर्श बच्चों व माताओं को एक सुरक्षित एवं सुखद माहौल प्रदान करने के लिए दिया जाता है,उससे बच्चों के मस्तिष्क विकास में सकारात्मक प्रभाव होता है । यह कार्यक्रम फरवरी 2022 से उत्तर प्रदेश व ओडिशा के दो आकांक्षी ज़िलों में चलाया जा रहा है । एक बच्चे के जीवन में पहले 1000 दिन,जिसे गर्भधारण से लेकर पहले दो वर्षों तक गिना जाता है जो छोटे बच्चों में तेजी से बदलाव और विकास का समय होता है । जो उनकी सेहत पर आजीवन प्रभाव डालता है ।