
– विवेचकों को डिजिटल साक्ष्य संकलन की दी जा रही ट्रेनिंग
– बिना कोर्ट गए वीडियो कांफ्रेंसिंग से दे सकेंगे गवाही
– अपराध स्थल से लेकर जांच और मुकदमे तक की प्रक्रियाओं को तकनीक से जोड़ा गया है
लखनऊ । अपराधी को सजा दिलाने में पीड़ित के साथ ही गवाह की भी अहम भूमिका होती है । इस कारण गवाहों को धमकियों से बचाने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में गवाह संरक्षण योजना को शामिल किया गया है ।
आगामी एक जुलाई से लागू होने वाले इस नए कानून में गवाहों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की भी आजादी होगी । देश भर में आगामी एक जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा । भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अपराध स्थल से लेकर जांच और मुकदमे तक की प्रक्रियाओं को तकनीक से जोड़ा गया है । डिजिटल साक्ष्यों को मान्यता मिलने से पुलिस को जांच में मदद मिलेगी । इससे फॉरेंसिक रिपोर्ट की भूमिका अहम हो जाएगी । नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिए ही फॉरेंसिक लैब की संख्या बढ़ाई गई है । साथ ही फॉरेंसिक विशेषज्ञों की कमी दूर करने के लिए लखनऊ में उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंसेज की स्थापना की गई है ।
निश्चित समय में न्याय मिले इस पर फोकस
डीजीपी मुख्यालय के अनुसार विवेचकों को डिजिटल साक्ष्य संकलन के लिए लगातार ट्रेनिंग दी जा रही है । नए कानूनों में इस बात पर जोर दिया गया है कि अपराध पीड़ितों को तय समय सीमा में न्याय मिले । साथ ही किसी शिकायत के समाधान में उससे जुड़े किसी भी पक्ष का उत्पीड़न न हो । इसमें आतंकवाद और संगठित अपराध जैसे नए विषय भी शामिल किए गए हैं ।
पुलिस विभाग का मानना है कि नई तकनीक के जरिए मामलों के निस्तारण में तेजी आएगी ।