
फतेहपुर । भरत का राम के प्रति अटूट प्रेम मानव जीवन को भातृत्व प्रेम की अनूठी मिसाल देता है । जिन्हाेंने 14 साल तक राम के वनवास के दौरान उनकी चरण पादुका रखकर राम राज्य चलाया ऐसा कोई दूसरा भाई न हुआ है और न होगा जो भरत के भातृत्व प्रेम की मिसाल को पीछे कर सके उक्त विचार मलवा विकास खंड के शिवराजपुर हनुमान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओ को रामकथा का रसपान कराते हुए आचार्य यदुनाथ अवस्थी ने कहा ।
उन्हाेंने कहा कि भरत की माता कैकई ने अपने पुत्र के राज तिलक के लिए राम को वनवास करा दिया । परंतु जैसे ही भरत को राम के वनवास की जानकारी हुई ।
उन्होंने अपनी मां का परित्याग कर दिया और राज तिलक कराने से भी इंकार कर दिया ।
कहा कि वर्तमान समय में लोगाें को भगवान श्री राम और भरत के प्रेम से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है ।
उन्हाेंने कहा कि भरत ने राजतिलक का परित्याग कर भातृ प्रेम की अनूठी मिसाल पेश कर समाज को जो संदेश दिया । वह आज लोग भूलते जा रहे हैं ।
उन्हाेंने कहा कि रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और हमें लोभ लालच न कर प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देती है ।
उन्होंने भरत के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्रति अटूट प्रेम और वात्सल्य भाव के कई प्रसंग सुनाकर लोगों को भाव विभोर कर दिया । आचार्य कुलदीप द्विवेदी ने विधि विधान से पूजन कराया ।
इस मौके पर कमेटी सदस्य दीपक त्रिपाठी,धनंजय द्विवेदी,भुल्लन दुबे सुनील शुक्ला विवेक द्विवेदी ,शालि ग्राम दीक्षित अवधेश त्रिपाठी, आलोक गौड़,वैभव गुप्ता,बच्चन द्विवेदी,आलोक त्रिपाठी,शनि,सूरज सिंह,अरुण शुक्ल आदि रहे ।