
कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा । जिले के शिक्षा विभाग के क्रियाकलाप पर अब सवाल उठने लगे है और अपने कारगुजारियों को लेकर यह विभाग विवादों में घिरता जा रहा है । एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा सूचना का अधिकार के तहत पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के एक हायर सेकेण्डरी स्कूल में पदस्थ शिक्षक के सेवा पुस्तिका में संलग्न दास्तावेज़ों की प्रमाणित प्रतिलिपि बीईओ कार्यालय से बीते जून में आवेदन के माध्यम से मांगी गई थी । जिसकी जानकारी तय समय सीमा पर नही दिए जाने से आवेदक ने जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय में प्रथम अपील के माध्यम से जानकारी चाही । किन्तु यहां भी उसे सुनवाई पर सुनवाई की तारीखे दी गई और अंत मे आवेदक को संबंधित जानकारी पाने राज्य सूचना आयोग जाने की नसीहत दे दी गई । वहीं दूसरी ओर बिना उपस्थिति के 14 माह का वेतन आहरण करने वाले एक व्याख्याता के विरुद्ध हुई शिकायत पर जांच उपरांत कार्यवाही के बजाय विकासखण्ड स्रोत समन्वयक की उपाधि से उसे नवाजा गया है ।
जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड अंतर्गत पाली हाईस्कूल में पदस्थ व्याख्याता भरतलाल कुर्रे के द्वारा बिना उपस्थिति के वेतन आहरण की शिकायत जिला कांग्रेस कमेटी के ब्लाक अध्यक्ष, आरटीआई विभाग बबलू मारूवा ने जिला शिक्षाधिकारी से गत 10 जुलाई 2024 को की थी । जिसमे उन्होंने बताया था कि उक्त व्याख्याता ने मई 2023 से लेकर जून 2024 तक बिना उपस्थिति अधिकारियों के मिलीभगत से वेतन का आहरण कर लिया है । जहां बिना कार्य के वेतन आहरण करना यानि वित्तीय अनियमितता नजर आ रहा है । मामले में ब्लाक अध्यक्ष द्वारा व्याख्याता भरतलाल कुर्रे को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए एफआईआर दर्ज करने और साथ ही रिकवरी किये जाने की मांग की गई थी ।
शिकायत के आधार पर जिला शिक्षाधिकारी द्वारा जांच का जिम्मा विकासखण्ड स्रोत समन्वयक पोड़ी उपरोड़ा, प्राचार्य सेजेस कोरबी चोटिया, प्राचार्य हाईस्कूल पाली को सौंपा गया और शिकायत के संबंध में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने गत 22 जून 2024 की तिथि निर्धारित की गई थी । जांच टीम द्वारा जांच कर निर्धारित तिथि में प्रतिवेदन जिला शिक्षाधिकारी को सौंपा जिसमे व्याख्याता के विरुद्ध की गई शिकायत सत्य पायी गई थी तथा अधिकारी द्वारा 20 अगस्त 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी कर व्याख्याता भरत लाल से स्पष्टीकरण मांगा गया था तथा जवाब संतोषजनक नही पाए जाने पर छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत एक पक्षीय अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित किया जाना नोटिस में उल्लेखित किया गया था । इस पूरे मामले में आगे की कार्यवाही का तो कुछ अता पता नही चला बल्कि दोषी व्याख्याता को उल्टे पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड स्रोत समन्वयक के पद पर पदासीन कर दिया गया है । जिसे लेकर शिक्षा विभाग के कार्यशैली पर अनेको सवाल उठने लगे है और विभाग विवादों में आ गया है । विभाग के इस कारगुजारी की शिकायत क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री से करने की बात कही है ।