
कलेक्टर के रिकवरी आदेश को फाइलों के नीचे दबाकर दोषी व्याख्याता को दिया जा रहा क्लीनचिट
कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा । कानून की खामियों का फायदा और पद का दुरुपयोग । इन दोनों को समझाने वाला उदाहरण शिक्षा विभाग में सामने आया है । जिस व्याख्याता पर स्कूल से 14 माह गैर हाजिर रहने के दौरान वेतन लेने की गड़बड़ी के शिकायत के मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच टीम गठित कर जांच कराने और टीम द्वारा सौंपी गई जांच प्रतिवेदन में शिकायत की पुष्टि होने पश्चात कारण बताओ नोटिस जारी करने के कुछ दिन बाद एकाएक शासन- प्रशासन की आंखों में धूल झोंक वित्तीय अनियमितता करने वाले व्याख्याता को विकास खण्ड स्रोत समन्वयक बना दिया जाता है । सनद रहे कि छत्तीसगढ़ में आम बोलचाल की भाषा में इस प्रकार के लोगों को दोषी कहा जाता है और दोषी को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देना गलत बात माना जाता है ।
व्याख्याता ने बिना उपस्थिति 14 माह का लिया वेतन
पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के पाली हाईस्कूल में पदस्थ व्याख्याता भरतलाल कुर्रे ने मई 2023 से लेकर जून 2024 तक 14 माह गैर हाजिर रहकर अपना वेतन लिया है । जिसकी शिकायत जिला कांग्रेस कमेटी के ब्लाक अध्यक्ष (आरटीआई विभाग) बबलू मारूवा द्वारा गत 10 जुलाई 2024 को जिला शिक्षा अधिकारी तामेश्वर प्रसाद उपाध्याय से किया गया था और उक्त व्याख्याता के निलंबन, एफआईआर व रिकवरी की मांग की गई थी ।
व्याख्याता पर जून में विभागीय जांच शुरू हुई
व्याख्याता भरतलाल कुर्रे के विरुद्ध प्राप्त शिकायत पर माह जून में जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश पर जांच शुरू हुई, जिसमे स्वामी आत्मानंद उमावि. कुसमुंडा एवं मोंगरा के प्राचार्य को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया और 22 जून 2024 की तिथि में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने निर्देशित किया गया । टीम द्वारा नियत तिथि में जांच पूर्ण कर रिपोर्ट अधिकारी को सौंपा जिसमे व्याख्याता भरतलाल को 14 माह स्कूल से गैर हाजिर रहने के दौरान वेतन आहरण करने का दोषी पाया गया ।
अगस्त में कारण बताओ नोटिस जारी कर व्याख्याता से मांगा स्पष्टीकरण और कुछ दिन बाद दे दिया बीआरसी का पावर
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से व्याख्याता भरतलाल कुर्रे को 20 अगस्त को जारी कारण बताओ नोटिस क्रमांक- 3300/ शिकायत जांच/ 2024- 25 में उल्लेख किया गया है कि आपके द्वारा मई 2023 से लेकर जून 2024 तक बिना कार्य के वेतन प्राप्त किया गया है। उक्त अवधि में आप अपनी उपस्थिति कहां दे रहे थे इसकी जांच कराया गया । जांच अधिकारी द्वारा दिये गए जांच प्रतिवेदन में आपके विरुद्ध की गई शिकायत की पुष्टि हुई है । अतः इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण 3 दिवस के भीतर प्रस्तुत करें । आपका जवाब संतोषजनक नही पाए जाने पर छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत एकपक्षीय अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी । जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे । उक्त नोटिस जारी करने के कुछ दिन बाद ही दोषी व्याख्याता को पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के स्रोत समन्वयक बना दिया गया ।
यह गलत है तो सही क्या है ?
व्याख्याता भरतलाल कुर्रे ने आरोपपत्र के जवाब में प्रतिवाद प्रस्तुत किया या नही ? यदि जवाब दिया तो वह संतोषजनक था कि नहीं ? यह फिलहाल शिक्षा विभाग के गर्भ में है और जिसे सार्वजनिक नही किया जा सका है । लेकिन जिसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई और कार्यवाही पूर्ण नही हुई । ऐसी स्थिति में उन्हें कोई भी महत्वपूर्ण पद नहीं दिया जाना चाहिए था । वैसे भी उनका मूल पद व्याख्याता हाईस्कूल है और शिकायती जांच अवधि में उन्हें विकासखण्ड स्रोत समन्वयक पद के प्रभार का तो प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है तथा जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक उन्हें ऐसे काम में लगाना चाहिए था । जहां पर वित्तीय व्यवहार नहीं होता और अधीनस्थ कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के अधिकार नहीं होते । लेकिन शिक्षा विभाग ने इन सभी नियम- कायदे को दरकिनार कर उन्हें बीआरसी का पावर दे दिया, जो आखिर कहां तक उचित है ।
*कलेक्टर के रिकवरी आदेश को शिकायत शाखा प्रभारी ने फाइलों के नीचे दबाया*
विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबित व्याख्याता भरतलाल कुर्रे द्वारा 14 माह बिना उपस्थिति के वेतन आहरण करने संबंधी मामले को कलेक्टर ने गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए कुछ दिनों पूर्व उक्त व्याख्याता से वेतन राशि रिकवरी के आदेश जारी किए गए है। किंतु उस आदेश को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के शिकायत शाखा प्रभारी द्वारा फाइलों के नीचे दबा दिया गया है और इस प्रकार दोषी व्याख्याता को क्लीनचिट देते हुए बचाने का प्रयास किया जा रहा है। शिक्षा विभाग का यदि ऐसा दरियादिली रहा तो अन्य मौकापरस्त शिक्षकों के मनमानी को बल मिलेगा।