
– संत श्री नागा निरंकारी का जन्म सोलहवीं शताब्दी के आसपास हुआ था ।
कानपुर । पाली खुर्द कस्बा में सिद्ध श्री नागा निरंकारी समाधि मंदिर स्थापित है,जो पाली धाम के नाम से जाना जाता है । गुरुवार को पाली धाम में 88वां महानिर्वाण दिवस वर्ष समारोह का आयोजन किया गया । जिसमें विशाल यज्ञ एवं संत सम्मेलन आयोजित हुआ । आसपास गांव सहित अन्य शहरों से लोग पाली धाम मंदिर पहुंच कर संत श्री नागा निरंकारी महाराज जी के दर्शन करके पूजा-अर्चना की ।
इस अवसर पर मंदिर प्रांगण में विशाल मेले का आयोजन किया गया । वही पाली खुर्द कस्बा निवासी महेंद्र सिंह बतातें है कि संत श्री नागा निरंकारी का जन्म सोलहवीं या सत्रहवीं शताब्दी में माना जाता है । महाराज जी का जन्म पंजाब के अथिलपुर गांव में हुआ था । जो अब पाकिस्तान में है । मुगलों ने जब देश में पहला आक्रमण किया था । जिसमें महाराज जी के पिता इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे । उसी दौरान माता अपने पति की चिता के साथ सती हो गई थी । तब महाराज जी की आयु पांच वर्ष की थी । इतनी छोटी सी उम्र में वे घर से निकल गए और कई देशों का भृमण किया । एक मान्यता के अनुसार उन्होंने गुरु नानक को फेरी लगाते देखकर उनके बारे में ब्रह्मवाणी में पद रचना की थी । उनका एक पद है- भज ले श्री नागा निरवान दीवाने मन, जागोश्याम अब भोर हुआ है,गुरुनानक करते फेरी दीवाने मन । इस पद से यह भी पता चलता है । कहते हैं संत श्री नागा निरंकारी को द्वापर युग की महाभारत की घटनाएं एकदम सचित्र याद थीं ।
वह कहते थे कि ‘हमें ध्यान में श्री लक्ष्मी जी ने सर्वत्र विजयी होने का वरदान दिया है । हमारे हाथ में लक्ष्मी जी की दी हुई छाप है । इस छाप को देखकर कोई भी शक्ति हमें कहीं जाने से नहीं रोक सकती थी साथ ही हमें ईश्वर की ओर से अमृत का प्याला पिलाया गया । इसी से हम किसी के मारे नहीं मर सकते स्वेच्छा से मर सकते हैं ।
कहा जाता है कि महाराज जी अत्यंत लंबी आयु पाने के बाद भी शरीर से पूरी तरह हष्ट पुष्ट थे । वही पाली में लगभग 40 बीघे में बना संत श्री नागा निरंकारी समाधि मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है । दूर-दराज से श्रद्धालु पाली धाम में नागा बाबा के दर्शन के लिए आते है । कार्तिक पूर्णिमा को प्रतिवर्ष विशाल मेला का आयोजन किया जाता है । यह ऐतिहासिक मेला लगभग एक सप्ताह लगता है । महिलाएं घरेलू सामान की खरीदारी करती है तो वहीं बच्चे, बड़े व बुजुर्ग मेले का लुत्फ उठाते हैं ।
बताते चलें कि पाली धाम मंदिर को ग्रामीणों ने पर्यटन स्थल बनाने के लिए मांग की है । मंदिर के पास बना तालाब सैकड़ों वर्ष पुराना है । जो जल संरक्षण व जल संचयन के सबसे बड़े श्रोत के रूप में अपनी अमिट पहचान बनाए हुए है ।
ग्रामीण बताते हैं कि दो सौ साल पहले जब क्षेत्र में सूखा पड़ा था तब पाली के एक जमींदार ने यह तालाब बनवाया था । आज भी यह तालाब पानी से भरा रहता है।वहीचालीस बीघे से अधिक पर बना पूरा परिसर ग्रामीणों की आस्था का प्रमुख केंद्र है । संत नागा बाबा यहीं रहते थे और इसी तालाब में स्नान किया करते थे । बाद में यहीं पर नागा बाबा की समाधि बना दी गई । तालाब पूरा पक्का बना हुआ है। चारो तरफ से तालाब में जाने के रास्ते हैं । प्राचीन बड़ी-बड़ी सीढिय़ां व आकर्षक चौकोर कोने खुद तालाब की प्राचीनता बताते हैं । सीढिय़ों के दोनों तरफ बड़े-बड़े गुंबद ऐतिहासिकता दर्शाते हैं ।
ग्रामीणों ने बताया कि उनके पूर्वज बताया करते थे कि जब अकाल पड़ा था तब लोगों के प्राणों की रक्षा के लिए इसका निर्माण कराया गया था । अधिक गहराई तक खोदाई होने पर धरती से स्वतः जल श्रोत फूट पड़ा था । अधिकतर समय इस तालाब में पानी भरा रहता है। कभी जरूरत पड़ी तो नागा बाबा समाधि मंदिर से पानी भर दिया जाता है ।
पाली गांव के रहने वाले सचिन सिंह ने बताया कि पूर्वज बताते हैं कि संत श्री नागा निरंकारी का जन्म का सन 1520 के करीब हुआ था । इन्होंने अपना शरीर 1936 में त्याग दिया था।। वह करीब 416 वर्ष जीवित रहे थे । उन्होंने अपने शरीर का त्याग यहीं पाली मंदिर में किया था । लोगों ने समाधि स्थल पर मंदिर का निर्माण कराया था । तब से महानिर्वाण दिवस समारोह के रूप में मनाया जाने लगा । इस दिन आसपास गांव सहित दूर दराज से लोग आकर मंदिर परिसर में मिठाई, खिलौने, सर्कस, झूला आदि दुकानें लगाते हैं । हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कार्तिक पूर्णिमा से मेले का आयोजन किया गया । यह मेला करीब एक सप्ताह रहता है । दूर-दूर से साधु संत और श्रद्धालु श्री नागा बाबा के दर्शन के लिए आते है । मेले में सुरक्षा की दृष्टि से स्थानीय पुलिस के साथ-साथ पीएसी के जवान भी तैनात रहते है । मंदिर परिसर में निः शुल्क स्वास्थ्य कैंप लगाए गए जिसमें गांव समेत दूर दराज से आए लोगों ने स्वास्थ्य परीक्षण किया गया । चिकित्सकों द्वारा परामर्श व निः शुल्क दवा वितरण की गई । वही संत नागा बाबा ने कहा था कि मैं कैलाश जीतने उतरा-खण्ड जाऊंगा । जो मेरा ध्यान करेंगे मैं सहज ही उनके ह्रदय में मिल जाऊंगा ।
उन्होनें स्वस्तिक- उपदेश देते हुए कहा कहते थे- सब जीवों पर दया करो, वीरता धारण करो बिना वीरता के न योग होता है न गृहस्थी, सब पर प्रेम रखो किसी से घृणा या मोह न करो ऊंचनीच अपने पराये का विचार अज्ञान है सबको समान देखो, पुरुषार्थ करो पुरुषार्य से सबकुछ होता है, विचार कर काम करो कर्म फल अवश्य भुगतना पड़ता है,धर्म करो भूखे टूटे को भी जन वस्त्र दो गरीबों का उपकार करो अनाथों का साथ दो बीमारों की सेवा करो दूसरों को दुख न दो…!
श्री नागा निरंकारी जी हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया ।