
फतेहपुर । जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिये सम-सामयिक महत्व के कीट एवं रोगों का उचित समय प्रबन्धन नितान्त आवश्यक है । क्योकि बौर निकलने से लेकर फल लगने तक की अवस्था अत्यन्त ही संवेदनशील होती है । वर्तमान में आम की फसल को मुख्य रूप से भुनगा एवं मिज कीट तथा खर्रा रोग से क्षति पहुँचने की सम्भावना रहती है ।
आम के बागों में भुनगा कीट कोमल पत्तियों एवं छोटे फलों के रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं । प्रभावित भाग सुखकर गिर जाता है साथ ही यह कीट मधु की तरह का पदार्थ भी विसर्जित करता है,जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूँद जम जाती है ।
फलस्वरूप पत्तियों द्वारा हो रही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया मंद पड़ जाती है । इसी प्रकार से आम के बौर में लगने वाला मिज कीट मंजरियों एवं तुरन्त बने फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती है । जिसकी सैंडी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुंचाती है । प्रभावित भाग काला पड़ कर सूख जाता है । भुनगा एवं मिस कीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.19% एस. एल. (2.0 मि० ली०ली० पानी) या क्लोरपाइरीफास (1.5% (2.0 मि०लो० / ली० पानी) की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है ।
इसी प्रकार खर्रा रोग के प्रकोप से ग्रसित फल एवं डंठलों पर सफेद चूर्ण के समान फफूंद की वृद्धि दिखाई देती है । प्रभावित भाग पीले पड़ जाते हैं तथा मंजरियों सूखने लगती हैं । इस रोग से बचाव हेतु ट्राइडोमार्फ 1.0 मिली० ली० या डायनोकेम 1.० मिली०ली/ली० पानी की दर से भुनगा कीट के नियंत्रण हेतु प्रयोग किये जा रहे घोल के साथ मिलाकर छिडकाव किया जा सकता है ।
बागवानों को यह भी सलाह दी जाती है कि बागों में जब बौर पूर्ण रूप से खिला हो तो उस अवस्था में कम से कम रासायनिक दवाओं का छिड़काव किया जाये जिससे पर-परागण क्रिया प्रभावित न हो सके ।
कीटनाशक के प्रयोग में बरती जाने वाली सावधानियों
कीटनाशक के डिब्बों को बच्चों व जानवरों की पहुँच से दूर रखना चाहिए । कीटनाशक का छिड़काव करते समय हाथों में दस्ताने मुँह को मास्क व आँखों को चश्मा पहनकर ढंक लेना चाहिए । जिससे कीटनाशी त्वचा व आँखों में न जाय । कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय जब हवा का वेग अधिक न हो तब करना चाहिए अथवा हवा चलने की विपरीत दिशा में खड़े होकर करना चाहिए । कीट नाशक के खाली पाउच/डिब्बों को मिट्टी में दबा देना चाहिए ।