
-. किसान, व्यापारी,शिक्षा, बेरोजगारों के लिए बजट सिर्फ लालीपाप ।
फतेहपुर : बढ़ती जनसंख्या और घटते रोजगार के अवसर पर युवाओं ने चिंता जाहिर की है । देश में में युवा शक्ति की बात करे लगभग 65-70 प्रतिशत युवा आबादी है । गांव में रहकर रोजगार पाने लिए शहरी तर्ज पर मनरेगा योजना चलाई जा रही इसका बजट बढ़ाये ना जाने से लोगों में निरासा है । बजट में किसानों की उपेक्षा की गई । सरकार द्बारा एनएसपी रूलिंग लागू ना करके फसल अधिक खरीद किया जाना बेईमानी सिद्ध करता है ।
जहाँ शहरी गरीबों के रोजी रोटी के लिए सरकार कुछ नई योजना के आने की पूरी उम्मीद की जा रही थी ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत चलाई जा रही योजना काफी लोकप्रिय है । उसमें अतिरिक्त बजट का प्रवधान ना करना ग्रामीण विकास और रोजगार को कैसे गति मिलेगी । ग्रामीण क्षेत्र में बजट को लेकर निरासा हुई है ।
शिक्षा के क्षेत्र में जहां ई-शिक्षा के बढावा दिये जाने की बात कही गई है वह ग्रामीण क्षेत्र में कैसे कारगर होगी यहां ना तो संसाधन है और ना ही अभिभावकों के पास पैसा है और ग्रामीण सुदुर क्षेत्रों में नेटवर्किंग सुविधा का आभाव है वहीं संचार कंपनियों द्बारा बेतहाशा नेटदरों में बढ़ोत्तरी किया जाना ई-शिक्षा को प्रभावित करता दिख रहा है ।
लैपटॉप व मोबाइल सस्ते किये जाने की बात बजट में की गई है । किन्तु इसकी संभावना कम दिखाई दे रही है । जीएसटी दरों में कमी ना आना विदेशी कंपनियों के प्रभुत्व होने से इनकी दरों में कैसे कमी आयेगी आम लोगों के मन भ्रम की सिथति बना रहा है ।
किराना,दवा,प्लास्टिक व्यवसाईयों ने बजट को व्यापार विरोधी बताया । व्यापारियों को उम्मीद थी कि बजट में करो को लेकर कुछ राहत दी जायेगी किन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ । दवा नीति पर भी कोई चर्चा नहीं की गई ।