
रिपोर्ट – रवीन्द्र त्रिपाठी
बिन्दकी/फतेहपुर । विकास के चाहे जितने दावे किए जा रहे हो लेकिन वास्तविक स्थिति अलग ही नजर आती है जिसका जीता जागता उदाहरण है । 12 वर्ष से अधूरा पड़ा बिंदकी बाईपास लगभग 5 किलोमीटर लंबा बाईपास महज 100 मीटर की दूरी पर अधूरा पड़ा है । विभिन्न सरकारी आई और वर्तमान में भाजपा की सरकार है तमाम वादे किए जाते हैं । लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इस बाईपास को बनवाने में सभी लोग पीछे हट जाते हैं ।
बिंदकी बाईपास का निर्माण वर्ष 2010-11 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी की सरकार में प्रारंभ हुआ था । उस समय बांदा जनपद के रहने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता हुआ करते थे और वह लोक निर्माण विभाग सहित कई विभागों के कैबिनेट मंत्री थे । नगर के अंदर से निकलने में आम लोगों की तरह उन्हें भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था ।
खासकर बांदा से कानपुर जाने वाली एंबुलेंस अक्सर नगर के अंदर फस जाती है ऐसी स्थिति में कभी-कभी मरीजों के लिए जानलेवा भी साबित हो जाता है । इस समस्या को देखते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बाईपास का निर्माण शुरू कराया था ।आपसी सहमति के आधार पर जाफराबाद जनता बिंदकी कोहना मुरादपुर आदि गांव के 300 से अधिक किसानों की जमीन सहमत से ले ली गई थी । लेकिन अंत में एक किसान का मामला फंस गया और मुआवजे को लेकर 12 साल गुजर गए लेकिन कितना मुआवजा दिया जाए यह शासन और प्रशासन फैसला नहीं ले पाए यह बड़ी विडंबना की बात है ।
सरकार कई हजार करोड़ रुपए सड़कों के निर्माण की बात करती है । ऐसा सरकार का दावा है लेकिन यह दावा बाईपास के निर्माण में जीरो नजर आता है । बाईपास का निर्माण थोड़ा रह गया था । उसी समय बहुजन समाज पार्टी की सरकार चली गई और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बन गई थी लेकिन पूरे 5 साल गुजर गए समाजवादी पार्टी के सरकार में भी यह बाईपास ज्यों का त्यों बना रहा केवल हवाई वादे और बातें होती रहें । इसके बाद भारतीय जनता पार्टी की 5 वर्ष की सरकार बनी क्षेत्रीय जनता एवं समाज के लोगों ने भी कई बार बायपास को बनवाने की मांग की ताकि नगर के अंदर का जाम हट जाए । आवागमन सुगम हो जाए लेकिन कोई काम नहीं हो पाया । इसके बाद जनता को आशा थी कि भारतीय जनता पार्टी की दोबारा सरकार बनने पर शायद कोई काम हो लेकिन 1 वर्ष से अधिक सरकार बनने को हो गए 1 इंच भी काम बायपास को लेकर नहीं हुआ जिसको लेकर लोगों में गहरी नाराजगी का माहौल बना रहता है ।
लोगों का मानना है कि सरकार कोई भी आए जनता की समस्या ज्यों का त्यों बनी रहती है बताते चलें की बाईपास के बनवाने में अब तक 8 करोड रुपए खर्च हो चुका है । लेकिन कितना रुपया किसी काम का नजर नहीं आता और पूरी तरह से बाईपास बाधित रहता है । निश्चित रूप से यदि शासन प्रशासन के लोग इस समस्या को गंभीरता से लें तो कोई समस्या ऐसी नहीं होती जिसको हल नहीं किया जा सके लेकिन बात होती है । मामले को गंभीरता से लेने की आगामी वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसी स्थिति में यह मुद्दा चुनाव के समय छाया रह सकता है ।