
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पूजा स्थल अधिनियम,1991 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया है । अब इस पर सुनवाई जनवरी 2023 में होगी ।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूढ़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने केंद्र से 12 दिसंबर तक शपथ पत्र दायर करने के लिए कहा है ।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें एफ़िडेविट दायर करने के लिए और समय चाहिए क्योंकि उन्हें सरकार से इस बारे में विमर्श करना होगा ।
इससे पहले भी शीर्ष अदालत ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया था ।
याचिकाओं में पूजा स्थल अधिनियम को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि यह अधिनियम हिंदुओं,जैनियों,बौद्धों और सिखों के अधिकारों को छीनता है क्योंकि वे अपने उन ‘पूजा स्थलों और तीर्थस्थानों’ को पुनर्स्थापित नहीं कर पाते जिन्हें आक्रमण कारियों ने बर्बाद कर दिया था ।
वहीं बीजेपी नेता और पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वो एक्ट को ख़त्म करने की नहीं बल्कि इसमें सिर्फ़ और मंदिरों को जोड़ने की मांग कर रहे हैं ।