कानपुर : वायरस और सूक्ष्म जीवी हमेशा से इस पृथ्वी पर हमारे साथ रहे हैं चिंता की बात यह है कि जंगलों की अंधाधुंध कटाई,प्राकृतिक संसाधनों के दोहन,बढ़ते मांसाहार और भूमि के बेतहाशा खनन की वजह से यह हमारे शरीरों में अपना नया घर तलाश रहे हैं ।
इनके म्यूटेशन को रोकना है तो इंसानों को अपनी जीवनशैली बदलनी होगी उपरोक्त बात सोसायटी योग ज्योति इंडिया व उत्तर प्रदेश वैश्य व्यापारी महासभा के संयुक्त तत्वावधान में नशा हटाओ कोरोना मिटाओ बेटी बचाओ हरियाली लाओ अभियान के अंतर्गत अंतर्गत विश्व जैव विविधता दिवस के परिप्रेक्ष्य में आयोजित ई- संगोष्ठी शीर्षक “क्या प्राकृतिक व्यूह रचना ही भविष्य के वायरस से निपटने में होगी कारगर” पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही ।
बाबा श्री ने आगे बताया कि कोरोना व अन्य भविष्य में मानव समाज के सम्मुख दस्तक देने वाले वायरस से पार पाने के लिए सात प्रकार की व्यूह रचना बनानी होगी प्रथम शरीर को हर मौसम के अनुकूल सख्त बनाएं ।
दूसरा बाहर के भोजन से परहेज करते हुए घर का भोजन ही सेवन करें,तीसरा जब हम प्राकृतिक परिस्थितिकी तंत्र की संपूर्णता को तोड़ते हैं या उसकी जगह एकल कृषि को लाते हैं तो हम कोरोना महामारी जैसे हालातों को पैदा करते हैं ।इसीलिए कुदरत के काम में दखल ना दें,चौथी व्यूह रचना में अपने आहार में स्थानीय स्तर पर उगते रहे मोटे अनाजों, सब्जियों,देसी फलों को शामिल करें और स्थानीय वातावरण के अनुकूल जैव विविधता को मजबूत करने वाले देसी वृक्षों में यथा नीम बरगद पीपल आम जामुन आदि को रोपे ,पांचवा व्यूह में कोरोना पर अध्ययन के वुहान् मॉडल ने स्पष्ट किया है कि मांस सेवन का लालच अंततः हमारे अस्तित्व को ही संकट में डाल रहा है ।
इसीलिए मांसाहार की जगह शाकाहार को अपनाएं,छठवां व्यूह रचना में प्रकृति के साथ सह अस्तित्व स्थापित रखें और अंतिम सातवा मानव का वर्तमान परिस्थितियों में जीवन के लिए अपनी जीवनशैली बदलनी ही होगी ।
ज्योति बाबा ने बताया कि हमें जरूर ध्यान देना चाहिए कि संक्रमण होने के बावजूद अच्छे प्रतिरक्षा तंत्र वाले बहुत से लोग बीमार नहीं पड़ते हैं । भारत में अलग-अलग संस्कृतियों में से हर किसी के पास स्वस्थ जीवन शैली के लिए साहित्य का अपना समूह या अलिखित आचार संहिता है लेकिन तेजी से होते वैश्वीकरण के कारण जैवविविधता को एक रूप बनाया जा रहा है बाहरी वातावरण के साथ हमारे आहार में बदलाव ने भी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर दिया है ।कोविड-19 महामारी के चलते बनी वर्तमान स्थिति ने स्वास्थ्य और पोषण के महत्व को एक बार फिर एक नंबर पर ला दिया है ।
रविशंकर हवेलकर सदस्य प्रदेश सलाहकार शासन समिति ने कहा की कोविड-19 तो केवल एक उदाहरण है ।
दरअसल वैश्वीकरण और इससे प्रभावित जीवन शैली ने जिस तरह से जैव विविधता को नुकसान पहुंचाया है उसने महामारी आने का पूरा रास्ता बना दिया है इसीलिए कोरोना महामारी से सबक लेकर स्वस्थ जीवन हेतु हमें अपनी पुरानी प्रकृति प्रेमी जीवन शैली की ओर लौटना होगा ।
राष्ट्रीय संरक्षक डॉ आर पी भसीन ने कहा कि हमारे अथर्ववेद में कहा है की हे पृथ्वी, मैं आपका पुत्र हूं आप मेरी मां है माता के समान आपका वात्सल्य और पिता की तरह पर्जन्य प्राण वायु जल सूरज चांद से उत्पन्न समेकित जीवनी शक्ति का हम पर संरक्षण बना रहे हमने वेदों के संदेशों को जीवन में ना उतारने के कारण एक भयानक महामारी से जिंदगी के लिए जूझना पड़ रहा है ।
डॉ० रविंद्र नाथ चौरसिया निवर्तमान अध्यक्ष आई एम ए ने कहा कि जब तक बैक्टीरिया और वायरस हमारे साथ मिलकर विकसित होते हैं तब तक वह कोई परेशानी नहीं बनते हैं इसे ही वैज्ञानिक पुराने मित्र की परिकल्पना कहते हैं ।
शोध बताते हैं कि आसपास जैव विविधता नहीं है तो ठंड दमा त्वचा रोग जैसी चीजों से होने वाली एलर्जी हो जाती है । ई-संगोष्ठी का संचालन प्रदेश महामंत्री गणेश गुप्ता व धन्यवाद प्रदेश अध्यक्ष सत्यप्रकाश गुलहरे ने दिया ।
अन्य प्रमुख अनूप अग्रवाल प्रदेश महामंत्री संगठन,विमल माधव वूमेन एक्टिविस्ट,महंत राम अवतार दास ,रोहित कुमार ,गीता पाल सोशल एक्टिविस्ट इत्यादि थी ।