
फतेहपुर : पंचायत चुनाव में प्रशिक्षण,मतदान एवं मतगणना करने वाले 22 शिक्षकों व शिक्षा मित्रों की कोरोना संक्रमण से जिले में मौत होने का दावा प्राथमिक शिक्षक संघ ने किया है ।
शिक्षक कर्मचारी संघ का दावा है कि कोरोना संक्रमण के दौरान कराए गए इस चुनाव की वजह से सूबे में 1621 में कर्मचारियों की मौत हुई है । उन्होंने कहा जबकि सरकार के आंकड़े एकदम अलग हैं । वहीं बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से दावा किया गया है कि यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है ।
शिक्षक कर्मचारी संघ दावा के अनुसार कोरोना संक्रमण के दौरान कराए गए इस चुनाव की वजह से 1621 कर्मचारियों की मौत हुई है वहीं मंगलवार को बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से दावा किया गया है कि यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है ।
बेसिक शिक्षा परिषद का दावा है कि निर्वाचन अवधि,चुनावी काम में घर से निकलकर आदमी के ट्रेनिंग लेने और चुनाव कराके घर जाने के दौरान ही होती है । बेसिक शिक्षा परिषद का दावा है कि इस अवधि में सिर्फ तीन शिक्षक की मौत हुई है ।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने इससे पहले संघ ने 16 मई को सीएम को भेजते हुए चुनाव ड्यूटी में गुजरे हुए सभी शिक्षकों,शिक्षा मित्रों,अनुदेशकों व कर्मचारियों को एक करोड़ की आर्थिक सहायता,उनके परिजनों को नौकरी दिए जाने सहित आठ मांगें की हैं ।
प्राथमिक शिक्षक संघ ने सूची जारी कर दावा किया है कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों व कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है । इन सभी लोगों ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी की थी ।
प्राथमिक शिक्षक संघ जिला मंत्री फतेहपुर विजय त्रिपाठी ने दावा किया है कि पंचायत चुनाव के दौरान जिले में 22 शिक्षक, शिक्षा मित्रों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई । बताया प्रदेश नेतृत्व द्वारा 1621 शिक्षकों की मौत की सूची सौपी जा चुकी है ।
श्री त्रिपाठी ने कहा अधिकारियों ने मामले की गलत रिपोर्ट जांच करके दी है इनके विरुध्द कार्रवाई की मांग की गई । उन्होंने कहाकि मृतकों के परिजनों को एक करोड की अनुग्रह राशि दिया जाना अनुचित होगा ।