
फतेहपुर : डेढ़ दशक बीत जाने के बावजूद भी अभी तक डूडा से बनी 60 कालोनियां आबाद नहीं हो पाई है । यह कॉलोनी जर्जर हालात में होती जा रही है ।
अधिकांश कालोनियों में अवैध कब्जे हैं । मवेशी बांधे जाते हैं या उपले तथा भूसा भरा जाता है । यह कालोनियां अराजक तत्वों का अड्डा भी है जहां रात तो दूर दिन में भी जाने से डर लगता है ।
बताते चलें कि नगर के दक्षिण उत्तर दिशा में लाहौरी मोहल्ले के निकट डेढ़ दशक पहले डूडा विभाग से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के रहने के लिए 60 कालोनियां बनी थी ।
ताकि यहां पर वह परिवार रह सके जो खुले आसमां के नीचे रहते हैं या फिर पॉलिथीन और छप्पर के नीचे परिवार सहित झोपड़ी नुमा घरों में रहते हैं । लेकिन तमाम पात्र लोगों तथा परिवारों की बदकिस्मती कहें कि आज तक यह 60 कालोनिया वीरान पड़ी है । आवाज नहीं हुई जहां परिवार होना चाहिए इंसान होना चाहिए । खिलखिलाते बच्चों की आवाजें आनी चाहिए वहां पर बेजुबान जानवर बांधे नजर आते हैं । इतना ही नहीं अधिकांश कालोनियों में दरवाजे खिड़की गायब है । ज्यादातर कालोनियों में मवेशी बने रहते हैं या भूसा उपला भरा रहता है । सबसे बड़ी बात यह है कि यह कालोनिया अराजक तत्वों का अड्डा बनी रहती हैं ।
तमाम अराजकतत्व यहां पर बैठे रहते नजर आते हैं यहा रात में तो दूर दिन में भी जाने से लोगों को डर लगता है । कई बार लोगों ने शासन प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों से मांग की की डूडा विभाग से बनी कालोनियों की बाकी औपचारिकताएं पूरा करके गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वालों को आवंटित किया जाए । लेकिन बदकिस्मती रही कि आप तक गरीब परिवारों को यह कॉलोनी आवंटित नहीं हो पाई और वीरान पड़ी हुई है ।
लाहौरी मोहल्ला निवासी रमेश प्रसाद जोकि कच्ची झोपड़ी नुमा घर में रहते हैं । उन लोगों ने कई बार नगर पालिका परिषद तथा अधिकारियों से कॉलोनी आवंटित करने को कहा लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला । जिसके कारण आज भी वह लोग कच्ची छप्पर पॉलिथीन से से बनी झोपड़ी में सपरिवार रहने को मजबूर है ।