
लखनऊ । सदी के महान पार्श्व गायक पद्मश्री मुकेश के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर जानी मानी संस्था सुर ताल संगम की प्रमुख शाखा युवा मंच के बैनर तले एक यादगार संगीतमय समारोह का भव्य आयोजन लखनऊ उत्तर प्रदेश में स्थित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान प्रेक्षागृह में किया गया । जिसमें कई शहरों से आमंत्रित नवोदित एवं प्रतिष्ठित कलाकारों ने मुकेश के अविस्मरणीय गीतों से अपनी स्वरांजली अर्पित कर बेहतरीन प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं मुकेश के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ । सबसे पहले बाल नृत्यांगना अक्षिता सिंह ने गणपति वंदना प्रस्तुत की । इसके उपरांत मुख्य अतिथि के रूप में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध संगीत मर्मज्ञ,शोधकर्ता एवं श्री कन्हैयालाल पांडेय एवं विशिष्ट अतिथियों सहित शहर के अनेक गणमान्य लोगों को अंगवस्त्र माल्यार्पण तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया ।
सभी कलाकारों एवं संस्था के पदाधिकारियों ने मनमोहक गीत और नृत्य से सभी के ज्ञन को मोह लिया । एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों के सिलसिले के बीच संगीत रसिकों से भरा हुआ प्रेक्षागार देर रात तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा ।
मुंबई निवासी आद्या श्रीवास्तव ने मुकेश और ऐतिहासिक अभिनेता राजकपूर को एक सिक्के के दो पहलू साबित करते हुए आवारा हूं, मेरा जूता है । जापानी, ए भाई ज़रा देख के चलो और जीना यहां मरना यहां जैसे अमर गीतों के मेडले एक्ट से लोगों को खड़े होकर तालियां बजाने को मजबूर कर दिया । दोस्त दोस्त ना रहा प्रवीन श्रीवास्तव ने,दीवानों से ये मत पूछो रमन श्रीवास्तव ने,रूक जा ओ जाने वाली देवेंद्र कुमार मेंगी ने,मैं पर दो पल का शायर हरीश गौड़ ने,किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार अमन जावेद फारुकी ने,ओरे ताल मिले नदी के जल में गगन शुक्ला ने, कहीं दूर जब दिन ढल जाए राजेन्द्र नाथ ने,चांद को क्या मालूम किशोर श्रीवास्तव ने, डम डम डिगा डिगा संदीप अग्निहोत्री ने, चंदन सा बदन दिनेश चंद्र श्रीवास्तव ने,मुझे नहीं पूछनी तुमसे अवधेश श्रीवास्तव ने,जाने कहां गए वो दिन अविजित श्रीवास्तव ने, सुहानी चांदनी रातें,सारंगा तेरी याद में अभय श्रीवास्तव ने पेश करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया साथ ही संस्था की ब्रांड एम्बेसडर लोकप्रिय बाल नृत्यांगना उन्नति श्री ने मतवाली नार ठुमक ठुमक पर अद्वितीय प्रदर्शन किया ।
सदाबहार युगल गीतों की श्रंखला में आद्या,सीमा विरमानी,वंदना श्रीवास्तव,अनीता सिंह,सीमा श्रीवास्तव,नाहिद नाज़,अद्विका श्रीवास्तव ,आरूषि सहित डॉ० जया श्रीवास्तव ने सावन का महीना,धीरे धीरे बोल,एक मंज़िल राही दो,दुनिया की सैर कर लो,मेरा प्यार भी तू है,किसी राह में किसी मोड़ पर,हर दिल जो प्यार करेगा, मैं न भूलूंगा,एक प्यार का नगमा,दिल लूटने वाले जादूगर,ना करें की धार ,सात अजूबे इस दुनिया में आदि अत्यंत आकर्षक प्रस्तुतियां देकर माहौल को चार चांद लगा दिए । इस ऐतिहासिक अवसर पर संस्था की डायरेक्टर एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध गायिका डॉ० जया श्रीवास्तव ,संस्था के अध्यक्ष श्री अजय श्रीवास्तव,संरक्षिका सहर जावेद फारुकी तथा दिल्ली से पधारे संरक्षक श्री किशोर श्रीवास्तव द्वारा सुर ताल संगम की शाखा युवा मंच के अध्यक्ष श्री अभय श्रीवास्तव को मुकेश मेमोरियल अवार्ड सुर सरताज से नवाजा गया ।
कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों और नवनियुक्त पदाधिकारियों को सम्मान पत्र तथा स्मृति चिन्ह आदि प्रदान किया गया सभी उपस्थित अतिथियों,पदाधिकारियों व दर्शकों ने इस सफल यादगार कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए सुर ताल संगम की पूरी टीम को बधाई दी एवं डॉ० जया श्रीवास्तव ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन दिया ।