
वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी की खास रिपोर्ट
वाराणसी । देश की सबसे चर्चित उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीट जहाँ से प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी सांसद है । हर बार दिलचस्प रहती है । इस लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की प्रत्याशी किन्नर हिमांशी सखी ने अपने आप गंगा पुत्र मोदी के सामने शिखंडी के रुप में पेश कर अपनी चुनौती पेश किया है । जिससे अन्तिम सातवें चरण के चुनाव में वाराणसी लोकसभा और भी अधिक दिलचस्प रहेगा ।
हिमांशी सखी का कहना है कि वह किन्नर समाज के हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए वाराणसी के चुनाव मैदान में अपनी आमद कराई है ।
लोकसभा सीट वाराणसी मे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की प्रत्याशी हिमांशी सखी ने शुरू किए गए चुनाव प्रचार में बताया कि अगर राजनीति में किन्नरों को भी आरक्षण दिया गया होता तो आज चुनाव लडने की उसे जरुरत नहीं पडती है ।
हिमांशी सखी ने बताया कि आज भी किन्नर समाज की बेहतरी के लिए सरकारों ने कुछ नहीं किया । यही वजह है कि किन्नर भीख मांगने पर मजबूर है । उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय हिन्दू महा सभा के चक्रपाणि महाराज ने उन्हें यह अवसर प्रदान किया है ।जिसके माध्यम से किन्नर समाज के उत्थान में भूमिका निभा सकूंगी । चक्रपाणि महाराज की तरह अगर यही काम देश का राजा यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते तो काफी आनंद की अनुभूति होती । मुझे खुशी है कि अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने किन्नर समाज की समस्याओं को संसद में उठाने के लिए प्रतिनिधि सांसद निर्वाचन के लिए प्रत्याशी बनाया है किन्नर समाज के लिए गौरव की बात है । अगर किन्नर भी समाज का एक किरदार (हिस्सा) है तो उन्हें देश का राजा प्रधानमंत्री किन्नर को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं । मोदी सरकार के 10 वर्ष गुजर गए किन्नर समाज का क्या उत्थान हुआ ?
आज भी सबका विकास का नारा देने वाली मोदी सरकार में आज किन्नर क्यों भीख मांग रहा है ?
हिमांशी सखी का कहना है कि किन्नर भी समाज का एक हिस्सा है । इसके लिए विधानसभा व लोकसभा में किन्नर के लिए एक एक सीट आरक्षित की जानी चाहिए । बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की रह किन्नर बचाओ किन्नर पढाओ का भी एजेण्डा सरकार के पास होना चाहिए । यदि किन्नर समाज के लोग शिक्षित होते तो उन्हें भीख नहीं मांगनी पडती ।
हिमांशी सखी का कहना है कि वह शिखंडी बनकर अब गंगा पुत्र नरेंद्र दामोदर दास मोदी के सामने आकर रास्ते में खडी हूँ । अब तो शिखंडी को उन्हें हर हाल में अपनाना ही पडेगा । अगर गंगा पुत्र शंखनाद कर सकते हैं तो युद्धभूमि में शिखंडी क्यों नहीं कर सकती है ?
मालुम हो कि अगली एक जून को सातवें चरण में वाराणसी में मतदान होना है और चार जून को मतगणना के साथ परिणाम आने है । संयुक्त गठबंधन से अजय राय भी चुनाव मैदान में है । पिछले चुनाव में मोदी ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल किया था । इस बार के चुनाव में वाराणसी का नजारा क्या होगा यह तो आनेवाली चार जून को ही पता चलेगा । यह जरूर है कि किन्नर प्रत्याशी हिमांशी सखी को अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने वाराणसी से चुनावी समर में उतार कर दिलचस्प जरूर बना दिया है ।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिमांशी सखी ने अपना नजरिया साफ करते हुए कहा है कि ज्ञानवापी का मामला शीघ्र हल होना चाहिए । वहा शिव मंदिर था । जिसको तोडकर औरंगजेब ने मस्जिद में तब्दील कर दिया था जैसा कि आर्कियोलाजिकल टीम के सर्वे और मिले अवशेष भी सिद्ध कर चुके हैं कि वहाँ शिव मंदिर था तो उस ढांचे को अब तक तो हट जाना चाहिए था । आखिर अभी तक क्यों नहीं हटाया गया प्रश्न सूचक है सरकार के लिए ।
विपक्षी गठबंधन के नेता कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी के बारे में हिमांशी सखी का कहना है कि राहुल गाँधी के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है ऐसे में उनके बारे में कोई भी टिप्पणी करना उचित नहीं है । उन्होंने कहा कि चाहे राहुल गाँधी हो या नरेंद्र दामोदर दास मोदी शिखंडी के सामने शरणागत होना ही पडेगा ।