
कानपुर । सरसौल कस्बा स्थित प्राचीन श्री चतुर्भुज मंदिर के प्रांगण में श्रीराम कथा का भव्य आयोजन किया गया । आयोजित कथा के तीसरे दिन कथावाचक हरिदास अंकित कृष्ण जी महाराज ने अहिल्या उद्धार की कथा का वर्णन किया ।
कथा वाचक में उन्होंने कहा कि अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थी । गौतम ऋषि व ऋषि रानी आश्रम बनाकर निवास करते थे । उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि सब सुखी बने सभी यशस्वी बने । वह भक्ति भाव लीन रहते थे। उनके भजन भाव से देवराज इन्द्र को भय हुआ । इसी ईष्या से उन्होंने स्वयं गौतम ऋषि का वेश धारण कर माता अहिल्या के कुटिया में जाकर छुप गए । जब गौतम ऋषि गंगा स्नान के लिए चले गए तब देवराज इन्द्र ने छल पूर्वक उनकी पत्नी अहिल्या के मातृत्व को नष्ट कर दिया । ऋषि पत्नी को लगा कुछ गलत हुआ है। पर कुछ कह ना सकी । गौतम ऋषि को जब आभास हुआ कि अभी तो अर्द्धरात्रि है तो वह समझ गए कि कुछ गड़बड़ है । आश्रम में आकर अहिल्या से पूछा तो कुछ बोल न सकी । महात्मा अपने योगबल से समझ गए कि देवराज इन्द्र ने छल किया है । तब गौतम ऋषि ने अहिल्या को श्राप जा तू पत्थर की शिल बन जाओ । बहुत सालों बाद प्रभु अपनी चरण रज से अहिल्या का उद्धार कर दिया । तब अहिल्या ने भगवान श्रीराम को प्रणाम कर अपने पति लोक को प्रस्थान कर गई । सरसौल कस्बा निवासी संदीप गुप्ता ने बताया कि चैत्र नवरात्र के पावन पर्व पर बुधवार को भक्तों द्वारा कलश यात्रा निकाली गई । इसके बाद पूजा-अर्चना कर श्री राम कथा का शुभारंभ हुआ । मथुरा से आए कथा वाचक हरिदास अंकित कृष्ण जी द्वारा श्री राम कथा के तीसरे दिन राम-लक्ष्मण वन गमन व अहिल्या उद्धार का वर्ण किया गया । इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में मौजूद भक्त श्री राम कथा को सुना ।