
– नामांकन प्रक्रिया पूरी होते ही जनसंपर्क में जुटे प्रत्याशी,बहा रहे है पसीना
फतेहपुर । लोकसभा चुनाव में फतेहपुर लोकसभा सीट अब रोचक मुकाबले वाली सीट बन गयी है । नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब प्रत्याशी व समर्थन गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले वोट जुटाने की आस में पसीना बहाने में लगे है । फिलहाल इस सीट पर मुकाबले में सीधी टक्कर सपा व भाजपा की ही नज़र आ रही है । जहाँ एक ओर वर्तमान सांसद व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति अपनी हैट्रिक के लिए आश्वत है । वही इंडिया गठबंधन की ओर से सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी पूरे जोश के साथ मैदान में उतरे है ।
दिलचस्प बात ये होगी कि फतेहपुर लोकसभा में मजबूत जनाधार वाली रही बहुजन समाजवादी पार्टी से ताल ठोक रहे कानपुर देहात के मनीष सचान किस पार्टी के वोटरों में और कितनी सेंधमारी करने में सफल होंगे, जो हार-जीत में एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं ।
फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन होने के बाद से अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं । इनमें सबसे ज्यादा पांच बार कांग्रेस, बीजेपी को चार बार सफलता मिली । जनता दल और बसपा के उम्मीदवारों ने दो-दो बार, सपा और लोकदल के प्रत्याशियों को एक-एक बार जीत दर्ज की है । साथ ही 1962 में निर्दलीय उम्मीदवार को इस सीट पर एक बार सफलता मिली ।
पिछले चार चुनावों में 2004 में बसपा के महेंद्र निषाद व 2009 में समाजवादी पार्टी के राकेश सचान संसद बनकर जिले का प्रतिनिधित्व किया। 2019 व 2014 में साध्वी निरंजन ज्योति अच्छे खासे अंतर से जीतकर सांसद चुनी गई थी । अगर पिछले विधानसभा चुनाव के नजरिए से देखा जाए तो इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल छह सीटों में तीन भाजपा,दो समाजवादी पार्टी व एक पर अपना दल (एस) काबिज़ है ।
सूबे की अन्य सीटों की तरह यहाँ भी जातिगत समीकरण पर चुनाव का नतीजा निर्भर करता है । जहाँ दलित,निसाद, कुर्मी व मुस्लिम समुदाय जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं । इस सब के साथ ही इस बार सड़क,बेरोजगारी,शिक्षा,महंगाई व धार्मिक मुद्दों का पूरी तरह से हावी होना मतदाताओं के रुख को भी तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे ।
इनसेट
सपा जातीय समीकरण व भाजपा अंतर्कलह से चिंतित
हाल ही में हुए नामांकन के दौरान भाजपा की अंतर्कलह स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आई है । जिससे पार्टी में चिंता की लकीरें साफ समझ मे आती है,तो वही बसपा से कुर्मी उम्मीदवार उतरने से समाजवादी पार्टी के लिए वोटों का विखराव रोकना चुनौती साबित होगा । इस सब के अलावा दलित समाज के वोटों का झुकाव किस पार्टी की ओर है । यह चुनाव के नतीज़ों का बड़ा एक्स फ़ैक्टर साबित होगा ।
बॉक्स
कौन होगा सासंद ?
तय करेंगे युवा मतदाता
शहर के सिविल लाइंस इलाके निवासी युवा सार्थक शुक्ला का कहना है कि लोकतंत्र के इस पर्व पर सभी आपने मत का प्रयोग अवश्य करना चाहिए । जिले का सांसद ऐसा हो जो आमजनमानस की बात सुने व उनके हित में काम करें न कि जीतने के बाद अपने क्षेत्र की ओर मुड़कर ही न देखें ।
पहली बार मताधिकार का प्रयोग करने वाले बकेवर कस्बा निवासी आशुतोष तिवारी वोट डालने के लिए काफी उत्साहित हैं । उनका कहना है कि बेरोजगारी, सड़क व मंहगाई आदि मुद्दों को मद्देनजर रखकर ही मतदान करेंगें । हमारे वोट से ही हमारी तरक़्क़ी निहित है ।