
फतेहपुर/बिन्दकी : नगर बिन्दकी में इन दिनों क्राइम के मामलों में तेजी के साथ वृद्धि हुई है । जहां हर रोज कोई एक नई घटना घटित होती दिखाई पड़ती कितनों को तो सुना नहीं जाता तो कितनों को कस्बा प्रभारी करते हैं । नजर अंदाज जिस वजह से इन दिनों अपराध की दुनिया में अपराधियों ने अपनी अच्छी साख बना ली है जैसे बिन्दकी नगर में इन दिनों खुलेआम भांग ठेकों से गांजों का बेंचा जाना ,शिक्षा के मंदिर में अश्लीलता का होना,चोरी व लगातार जेब कतरों द्वारा जेबों का कतरना ऐसा ही एक मामला बिन्दकी नगर के काली जी मन्दिर के पास का है । जहां पर एक 55 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति फूल सिंह निवासी जलालपुर तिलक,वरीक्षा कार्यक्रम के लिए कपड़े व कई अन्य जरूरी सामान खरीदी फरोख्त के लिए आया था बिन्दकी काली जी मन्दिर के पास बुजुर्ग व्यक्ति के दो अजनबी व्यक्ति मामा मामा कहते हुए पैर छूने लगे बुजुर्ग व्यक्ति उन्हें जानता व पहचानता नहीं था उसके लाख मना करने के बाद भी मुंहबोले भांजों ने पैर छूते हुए उनकी पैंट की जेब काटकर दस हजार रुपये पार कर बाइक में बैठकर भाग खड़े हुए तो वहीं एक घण्टे बाद फिर से एक पर्स चोरी का मामला बिन्दकी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से आ गया जहां पर एक सत्तावन वर्षीय व्यक्ति अनिल कुमार बाजपेई निवासी अजमतपुर बिन्दकी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दांतों की दवा लेने आया था जहां पर उसने अपनी पर्स से पर्चा निकालकर डॉक्टर से दवा लिखाने लगा जिसके बाद अनिल कुमार बाजपेई दवा लेने के लिए अस्पताल में ही बने दवा काउंटर पर दवा लेने लगा इतने में ही चोरों ने उनकी भी पर्स पर अपने हाथ साफ कर दिए पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि उसकी पर्स में तेरह सौ रुपये नगद और आयुष्मान कार्ड के अलावा कई जरूरी दस्तावेज भी थे जो पर्स के साथ चोरी चले गए थे । जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर बिन्दकी थाने की ओर प्रस्थान करने लगा जिस पर ललौली चौराहे में खड़े सिपाहियों ने पर्स चोरी होने की शिकायत देने के बजाय पर्स रास्ते में कहीं गिर जाने के बाबत प्रार्थना पत्र देने का दबाव बनाया जिस पर पीड़ित व्यक्ति द्वारा सिपाही का दबाव मानते हुए पर्स रास्ते में कहीं गिर जाने का प्रार्थना दिया गया अब सवाल यह उठता है कि हर एक घण्टे के बाद चोरी के मामले दिनदहाड़े सरकारी अस्पतालों,सरकारी कार्यालयों,राह चलते राहगीरों से पर्स चोरी,महिलाओं के साथ चैन स्नैचिंग व कई अन्य घटनाएं प्रतिदिन घटती दिखाई पड़ रहीं हैं । कितने मामलों को तो दबा दिया जाता है कितनों की तो मीडिया को जानकारी तक नहीं दी जाती व कितनों पर एफआईआर तक पंजीकृत नहीं की जाती है और पीड़ित व्यक्ति प्रतिदिन सरकारी दफ्तरों पर अपनी शिकायत को लेकर ठोकरें खाता फिरता रहता है ।