
फतेहपुर । डॉo भीम राव आंबेडकर राजकीय महिला महाविद्यालय में आज सोमवार को शास्त्रीय संगीत के अंतर्गत “मेवाती घराने की शिक्षण पद्धति” पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर गुलशन सक्सेना ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया ।
तत्पश्चात मुख्य अतिथि को प्राचार्य मैम द्वारा मोमेंटो देकर व साल ओढ़ाकर और प्रोफ़ेसर प्रशांत द्विवेदी द्वारा बैज अलंकरण कर स्वागत किया गया । तबले पर संगत कर रहे मिथलेश का स्वागत प्रोफेसर श्याम सोनकर द्वारा बैज अलंकरण कर और प्रोफेसर सरिता गुप्ता द्वारा साल ओढ़ाकर किया गया ।
तत्पश्चात कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्राचार्य मैम का स्वागत प्रोफेसर मीरा पाल द्वारा बैज लगाकर और प्रोफ़ेसर सरिता गुप्ता द्वारा साल ओढ़ाकर किया गया । कार्यक्रम के प्रारंभ में मेवाती घराने के बारे में बताते हुए मुख्य प्रशिक्षक सिद्धार्थ मिश्र ने सर्वप्रथम रागभैरव के गायन से प्रारंभ किया ।
तत्पश्चात राग यमन में कई भजन सुनाए मेवाती घराने की शिक्षण पद्धति पर बताते हुए उन्होंने फिल्म संगीत में प्रयोग हुए गीतों के मूल रूप में गाए जाने वाले बंदिशों को बताया जैसे “पायल पैजन रुनझुन बजे”, “आन मिलो सजना”, “मोरा सैया मोसे बोले ना”, गुलाम अली का “रघुवर तेरी तुमको”, भीमसेन जोशी का प्रसिद्ध भजन” बाजे रे मुरलिया बाजे”।
रगों की श्रृंखला में राग भैरवी के बारे में बताते हुए “मिले सुर हमारा तुम्हारा तो सुर बने हमारा”,तीनताल में बंदिश “कहो जी तुम कैसे,अब मोरी छाड़ दे कलाई” भजन और रगों को प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के अंत में राग नंद की प्रसिद्ध बंदिश “अजहू न आए श्याम” की बंदिश से कार्यक्रम का समापन किया ।
कार्यक्रम का संचालन सांस्कृतिक प्रभारी डॉo चंद्र भूषण सिंह ने किया । कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया । कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक क्लब की समन्वयक प्रोफ़ेसर सरिता गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया ।
इस कार्यक्रम महाविद्यालय की प्रोफ़ेसर मीरा पाल, प्रोफ़ेसर लक्ष्मीना भारती,प्रोफेसर श्याम सोनकर,प्रोफेसर प्रशांत द्विवेदी,शरद चंद्र राय, रमेश सिंह,बसंत कुमार मार्य,श्रीमती अनुष्का छोंकर,डॉo राजकुमार, आनंद नाथ और समस्त महाविद्यालय स्टाफ उपस्थित रहा ।