
कानपुर । अक्षय नवमी को आंवला पेड़ के नीचे सामूहिक रूप से महिलाओं द्वारा पूजा-अर्चना की गई । कार्तिक माह की नवमी को सरसौल,पुरवामीर,महाराजपुर, नरवल क्षेत्र भर में आंवला नवमी के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया गया ।
रविवार को सूर्योदय के साथ ही महिलाओं ने वृक्ष की परिक्रमा की एवं वृक्ष के चारों और मनोकामना पूर्ति के लिए कच्चा धागा बांधा एवं आंवले की जड़ में दूध भी चढ़ाया गया और अपने परिवार की सुख सम्रद्धि की कामना की । इस दौरान आंवला नवमी की कहानी सुनी ।
सुहागिन महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना एवं वृक्ष की परिक्रमा कर अपने परिवार की सुख सम्रद्धि की कामना की वही
पुरवामीर की रहने वाली शालिनी चौहान,कोमल, राखी, कंचन साहू आदि महिलाओं ने पर्व के महत्व के बारे में बताया कि पौराणिक मान्यता है कि आवलें के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं भगवान शिव का वास होता है । इस अक्षय नवमी के दिन आवलें वृक्ष के नीचे बैठने और भोजन करने से रोगों का नाश होता है ।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया पुण्य अक्षय होता है । यानी यह पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है व सरसौल कस्बा की रहने वाली उमाकांति तिवारी,रेखा शुक्ला,निशा तिवारी, माया गुप्ता, मंजू सिंह आदि ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के ही दिन भगवान विष्णु ने कुष्मांडक दैत्य को मारा था । जिसके रोम से कुष्मांड-सीताफल की बेल निकली थी । इसी लिए इसे कुष्मांडक नवमी भी कहा जाता है । यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भारतीय संस्कृति का पर्व है । क्योंकि आंवला पूजन पर्यावरण के महत्व को दर्शाता है और इसके प्रति हमें जागरुक भी करता है ।