
फतेहपुर । देवमई विकास खंड के भैसौली गाँव मे नव युवक कमेटी द्वारा चल रही विशाल श्रीमद्भागवत पुराण कथा के छठे दिन कथा व्यास ने देवकी के आठ संतानों की उत्पत्ति सहित श्रीकृष्ण जन्म की कथा का अति रोचक वर्णन किया । वही कथा सुनने आये श्रद्धालुओं ने इस रमणीय कथा का रसपान किया ।
कथावाचक सुप्रसिद्ध भागवताचार्य शिवांगी माधव ने कथा का वर्णन कृष्ण जन्मोत्सव से प्रारंभ किया । बताया कि द्वापर में मथुरा देश के दो भाग थे तथा दोनों भाग पर दो बशो के राजा का राज था । पहले बिष्टवंश में दो भाई देवक व उग्रसेन हुए जिसमे देवक बड़े थे । जिनके इकलौती पुत्री देवकी थी जो राजपाट छोटे भाई उग्रसेन को सौंपकर भगवान की पूजा करने चले गई । उग्रसेन को एक पुत्र कंस हुआ जो आताताई था । पिता को जेल में डाल कर राजा बन गया वहीं दूसरी भाग पर यदुवंश का राज जिसके राजा सूरसेन के 10 पुत्र व पांचवी पुत्री थी । सूरसेन की बड़ी पुत्री को महाराजा ने मांगा जो बाद में पांडु की मां कुंती हुई । यदुवंश के बड़े पुत्र वासुदेव थे वासुदेव का 17 विवाह हुआ था । अठारहवां विवाह देवकी से हुआ । इसके बाद कंस ने आकाशवाणी को सुन कर दोनों को जेल में डाल दिया । कथा वाचक ने कहा कि भादोमास की अंधियारी रात को अष्टमी के दिन कंस के मथुरा जेल में अचानक अलौकिक प्रकाश फैलने लगा और माता देवकी के गर्भ से श्री कृष्ण का प्राकट्य हुआ । वहां के समस्त बंदी मूर्छित हो गए जेल के दरवाजे खुल गए आकाशवाणी हुई । जिसे सुनकर वासुदेव नन्हे बालक रूप में लेकर यमुनापार गोकुल नंद के घर पहुंचकर वहां से नवजात कन्या को लेकर वापस आए । सुबह होते ही गोकुल में नंद बाबा के घर बालक जन्म होने की बात पता चलते ही उत्सव मनाया जाने लगा । भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा सुनकर वहां मौजूद श्रोतागण भाव विभोर होकर खुशी से झूम उठे ।