
फतेहपुर । जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि प्रिय किसान भाइयों वर्तमान समय में मौसम में परिवर्तन के कारण रबी फसलों में लगने वाले सम-सामयिक कीट रोग की संभावना बढ़ गई है । इसके दृष्टिगत रखते हुए बचाव एवं प्रबंधन हेतु कृषकों के मध्य व्यापक प्रचार-प्रसार कर जागरुकता की आवश्यकता है । उक्त हेतु फसलवार सुझाव एवं संस्तुतियों निस्रनिचित है –
गेहूं दीमक/गुजिया खड़ी फसल में दीमक गुजिया के नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरिफॉस 20% ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए ।
माहू इस फीट के जैविक नियंत्रण हेतु एजाडिरक्टिन (नीम तेल) 0.15% ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोनकर छिडकाव करना चाहिए । रासायनिक नियंत्रण हेतु ईमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस एल की 1 एमएन मात्रा प्रति ली० पानी में घोल बना कर छिड़काव करें ।
पीली गेरुई इसके नियंत्रण हेतु प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी 500 मिनी प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600 से 700 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए ।
पत्ती धब्बा रोग इसके नियंत्रण हेतु पायोफिनेट मिथाइल 70% डबल्यूपी 700 ग्राम अथवा मैन्कोजेब 75% डबल्यूपी 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए ।
सरसों/राई:माहू
इस कीट के जैविक नियंत्रण हेतु एजाडिरक्टिन (नीम तेन) 0.15% ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए । रासायनिक नियंत्रण हेतु ईमिडा क्लोप्रिड 17.8% एस एल की 1 एमएन मात्रा प्रति ली०पानी में घोल बना कर छिड़काव करे ।
आरा मक्खी/बालदार सूँडी
आरा-मक्खी एक सूँडी प्रति पौधा एवं बालदार सूँडी 10 में 15% प्रकोपित पत्तियां दिखाई देने पर आर्थिक क्षति स्तर मानते हुए मैलाथियान 50% ईसी की 1.5 लीटर अथवा क्यूनालफॉस 25% इसी की 1.25 नीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें ।
पत्ती सुरंगक
जैविक नियंत्रण हेतु एजाहिरक्टिन (नीम तेल) 0.15% ईसी 2.5 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग किया जा सकता है ।
कीट के रासायनिक नियंत्रण हेतु ऑक्सिडीमेटोन मिथाइल 25% ईसी अथवा क्लोरपायरीनफास 20% ईसी की 1 लीटर की मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।
अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा
इस रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 75% डबल्यूपी अथवा जीनेब 75% डबल्यूपी की 2 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।
तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 75% डबल्यूपी अथवा जीनेव 75% डबल्यूपी की 2 किलोग्राम अथवा कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50% डबल्यूपी की 3 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए ।
सफेद गेरूई रोग
इस रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 75% डबल्यूपी अथवा जीनेव 75% डबल्यूपी की 2 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए ।
चना/मटर/मसूर: सेमीलूपर इसके नियंत्रण हेतु 50 से 60 बर्ड पर्चर प्रति हेक्टेयर की दर से लगाना चाहिए । जिस पर चिड़िया बैठ कर सुडियों को खा सके ।
कीट के जैविक नियंत्रण हेतु बैसिलस थुरिंजिएन्सिस की एक किलोग्राम मात्रा अथवा एजाडिरक्टिन (नीम तेल) 0.15% ईसी की 2.5 से 5 बी 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए । कीट के रासायनिक नियंत्रण हेतु क्यूनालफॉस 25% ईसी 2 लीटर की मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें ।
एस्कोकाईटा ब्लाइट : चने की फसल में पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 75% डबल्यूपी 2 किलोग्राम प्रति हे० अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डवल्यूपी की 3 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें ।
आलू:पछेती झुलसा
जब तापमान 10 से 20 सेंटीग्रेड के मध्य एवं आद्रता 80% से अधिक हो तो इस रोग के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है तत्काल सिंचाई बंद कर देनी चाहिए । प्रकोप के लक्षण दिखाई देने पर मैनकोजेब 75% डबल्यूपी अथवा जिनेव 75% डबल्यूपी 1.5 से 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए ।
सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली
कृषि विभाग, कृषि रक्षा अनुभाग द्वारा फसलों में लगने वाले कीट रोग संबंधी समस्याओं के त्वरित निदान के लिए मोबाइल नंबर क्रमशः 9452247111 एवं 9452257111 उपलब्ध कराए गए हैं ।
कृषक अपनी फसल संबंधी समस्याओं को व्हाट्सएप के माध्यम से भेज सकते हैं इसके अंतर्गत प्राप्त समस्याओं का समाधान निर्धारित समय सीमा 48 घंटे में किया जाता है ।