
फतेहपुर । कूटरचित दस्तावेजों के सहारे परिषदीय विद्यालयों में 50 से अधिक शिक्षकों की नौकरी जाएगी ।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से डिग्री हासिल किये आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं के दस्तावेजों के सत्यापनों में भिन्नता पाए जाने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी व डायट प्राचार्य से इन शिक्षकों के पुराने दस्तावेज,मूल प्रमाण पत्र व पुराना सत्यापन एसआईटी ने मांगा है । जिससे इन पर आगे की कार्रवाई की जा सके । संपूर्णानंद से डिग्री पाए अन्य शिक्षकों की भी जांच कराए जाने की कार्रवाई शुरू हो गई है ।
दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने वाले बड़े कलंदर जांच में फंसने की कगार पर हैं । इतना ही नहीं फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा कर नौकरी पाने वाले डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षकों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है ।
फतेहपुर जिले के 13 विकास खण्डों,नगरी क्षेत्र में विशिष्ट बीटीसी 2007,2008,2010,2015 व 2016 में संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी की डिग्रियों के सहारे नौकरी पाने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं के अभिलेखों के सत्यापन में की गई अनियमितताओं की एसआईटी लखनऊ द्वारा नवंबर 2022 में दर्ज मुकदमें के बाद जांच शुरू हुई तो जिलों में फर्जीवाड़े के मामले सामने आने लगे । नियुक्ति से पूर्व जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) द्वारा कराए गए सत्यापन ,पुराने दस्तावेज,मूल प्रमाण पत्र की जांच जब एसआईटी द्वारा की गई तो इनमें भिन्नता मिली है ।
संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से बड़े पैमाने पर किए गए फर्जीवाड़े पर बड़ी संख्या में प्रदेश से शिक्षकों की नौकरी जाना तय है । इनमें जिले से भी आधा सैकड़ा शिक्षक-शिक्षिकाएं ऐसे हैं जिनके दस्तावेज फर्जीवाड़े की जद में हैं और इन पर कर्रवाई तय है । एसआईटी द्वारा गत दिनों फतेहपुर की बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट)के प्राचार्य को पत्र भेज कर पुराने दस्तावेज ,मूल प्रमाण पत्र एवं पुराने सत्यापन की प्रमाणित प्रति को मांगा है । इनमें संदिग्ध 50 शिक्षक-शिक्षिकाओं की सूची भी लगाई गई है ।इतना ही नहीं संपूर्णानंद की डिग्रियों से नौकरी पाने वाले अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी जांच के दायरे में लाया जा रहा है ।
फतेहपुर जिला वैसे भी रहस्यों एवं अपनी एक से बढ़ कर एक करतूतों के लिए जाना जाता रहा है । फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरियां पाना यहां आम सी बात रही है । इसके पूर्व भी दिव्यांग कोटे से विकलांगता के फर्जी प्रमाण पत्र लगा कर डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षकों ने नौकरियों ले रखी हैं । उनकी भी जांच चल रही है ।
गत कई वर्षों पहले जिन एक दर्जन शिक्षकों को लखनऊ में बनाए गए मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होने का अंतिम अवसर दिया गया था न तो शिक्षक बोर्ड के सामने उपस्थित हुए और न ही जांच आगे बढ़ सकी । कुल मिला कर फर्जीवाड़ा करने वाले शिक्षक अपने आपको ज्यादा सशक्त मान रहे हैं । जिसका नतीजा है कि लंबे समय से फर्जीवाड़े की जांच पर जांच हो रही है । लेकिन कार्रवाई व परिणाम का अभी तक कोई पता नहीं चला है ।
जिस तरह से संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी से डिग्री पाने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं ने फर्जीवाड़ा का खेल खेला है उस पर कार्रवाई के लिए आगे बढ़ रही एसआईटी की चंगुल में यहां के 50 शिक्षक-शिक्षिकाओं का फंसना तय है ।