
देश में कोरोना वायरस की स्थिति पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को कई कड़े निर्देश दिए हैं ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी राज्य कोविड-19 की सूचनाओं के प्रसार पर शिकंजा नहीं कस सकता है । न्यायालय का मानना है कि नागरिक अपनी शिकायतें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सकते हैं ।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “एक नागरिक या जज होने के नाते यह मेरे लिए बड़ी चिंता का विषय है कि अगर नागरिक सोशल मीडिया के ज़रिए अपने शिकायतें बताते हैं तो हमें सूचनाओं पर शिकंजा नहीं लगाना चाहिए ।”’
“अगर कोई नागरिक बेड या ऑक्सीजन चाहता है और उसे परेशान किया जाता है तो हम उसे अवहेलना मानेंगे । हम एक मानवीय संकट में हैं ।”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसके अलावा कहा कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को भी बेड नहीं मिल रहा है जो कि एक विकट स्थिति है ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर लोगों द्वारा की जा रही सभी शिकायतें और अनुमान ग़लत नहीं हो सकते ।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी है । आगे पढ़िए सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा……
◆ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है और उसका उत्पादन बढ़ाया गया है ।
◆ केंद्र ने बताया कि अगस्त 2020 में देश में प्रतिदिन 6,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन था जो कि अब बढ़कर 9,000 मीट्रिक टन हो चुका है ।
◆ केंद्र ने कोर्ट को बताया कि यूपी ने अपने ऑक्सीजन टैंकर्स पर जीपीएस लगाया है जिससे कि उसके मूवमेंट का पता चलता रहे ।
◆ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजी वैक्सीन निर्माता यह नहीं तय कर सकते हैं कि किस राज्य को कितनी वैक्सीन मिलेगी ।
◆ कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र टूटने की कगार पर है और रिटायर्ड डॉक्टरों और अधिकारियों को दोबारा काम पर रखा जा सकता है । साथ ही कोर्ट ने कहा कि वो इस बात से सहमत है कि पिछले 70 वर्षों में हमें जो स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा विरासत में मिला है वह पर्याप्त नहीं है ।
◆ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हॉस्टल,मंदिरों,चर्चों और दूसरी जगहों को कोविड केयर सेंटर के तौर पर बदलकर खोला जा सकता है ।
◆ सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़े निर्देश देते हुए कहा कि इस समय कोई राजनीतिक कलह नहीं होनी चाहिए और उसे केंद्र सरकार के साथ मिलकर कोविड-19 की स्थिति पर काम करना चाहिए ।