
केंद्र सरकार ने सोमवार को उस मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया जिसमें दावा किया गया था कि सरकार की ओर से कोविड-19 वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को कोई नए ऑर्डर नहीं दिए गए हैं ।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस पर बयान जारी कर कहा गया है, ”कुछ मीडिया रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीन के लिए कोई नए ऑर्डर नहीं दिए हैं ।
रिपोर्ट कहती है कि दोनों वैक्सीन के लिए (सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक) आखिरी ऑर्डर मार्च, 2021 में दिया गया । ये रिपोर्ट पूरी तरह गलत है और तथ्यों पर आधारित नहीं है ।”
मंत्रालय ने बताया कि कोविशील्ड बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट को 28 अप्रैल,2021 को 11 करोड़ ख़ुराक के लिए 1732.50 करोड़ का भुगतान किया गया है । कोविशील्ड का ये ऑर्डर मई, जून और जुलाई महीनों के दौरान डिलीवर किया जाएगा ।
बीते मार्च में जो 10 करोड़ खुराक़ का ऑर्डर दिया गया था उसके लिए 8.7 खुराक़ की आपूर्ति 3 मई तक की जा चुकी है ।
इसके अलावा 28 अप्रैल, 2021 को ही भारत बायोटेक को 5 करोड़ वैक्सीन की डोज़ के लिए सौ फ़ीसदी एडवांस 787.50 करोड़ रुपये मई, जून और जुलाई के लिए जारी किया जा चुका है ।
सीरम इंस्टीट्यूट ने भी अपना बयान जारी कर कहा है कि ”हम सरकार के बयान से पूरी तरह सहमत हैं । बीते एक साल से हम भारत सरकार के साथ बेहद क़रीब से काम कर रहे हैं और उनके समर्थन का शुक्रिया अदा करते हैं । हम वैक्सीन के उत्पादन को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि कई जान बचाई जा सके ।”
दरअसल सोमवार को छपी एक रिपोर्ट में बिजनेस स्टैंडर्ड ने दावा किया था कि मार्च, 2021 में केंद्र सरकार ने कोविशील्ड की 10 करोड़ ख़ुराक और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के लिए 2 करोड़ खुराक़ का ऑर्डर दिया था ।
दोनों ही निर्माता कंपनियां आने वाले कुछ दिनों में इस ऑर्डर की आपूर्ति कर देंगी, लेकिन इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से कोई नए ऑर्डर वैक्सनी के लिए नहीं दिए गए हैं ।
Amongst multiple reports it is important that correct information be shared with the public. pic.twitter.com/nzyOZwVBxH
— Adar Poonawalla (@adarpoonawalla) May 3, 2021
हाल ही में सीरम इस्टीट्यूट के सीईओ अदर पूनावाला ने फाइनेंशियल टाइम्स को दि इंटरव्यू में कहा था कि वैक्सीन की कमी जुलाई तक जारी रह सकती हैं ।
इस इंटरव्यू में उन्होंने ये भी कहा था कि वैक्सीन की कमी के लिए उनकी कंपनी की आलोचना हो रही है लेकिन इस कमी के लिए सीरम इंस्टीट्यूट नहीं बल्कि सरकार के नीतिगत फ़ैसले ज़िम्मेदार हैं ।