
फतेहपुर । सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भले ही भूमाफियओं के खिलाफ बुल्डोर चलाने का ऐलान करते हैं । लेकिन जिले में इसका कोई असर नहीं है । प्रशासनिक अमला की नाक के नीचे शत्रु संपत्ति (कस्टोरियन भूमि),वक्फ भूमि पर एक सत्ताधारी नेता का रात भर कब्जा चलता रहा और जिम्मेदार मौन साधे रहे । आश्चर्य तो इस बात पर है कि यह कब्जा कलेक्ट्रेट परिसर के ठीक बगल में होता रहा और जिम्मेदार सत्ताधारी के इशारे पर दुम हिलाते रहे ।
मामला सिविल लाईन इलाके का है,जहां से एसडीएम,सीडीओ ,अपर पुलिस अधीक्षक और सीओ के आवासों की दूरी बमुश्किल दस से पचास कदम की होगी । देर शाम से शुरू हुए जमीन पर कब्जे के लिये जेसीबी गरजी रही और प्रशासनिक अमला ने जैसे कानों में रूई लगा ली । किसी ने उसे रोकने की बात दूर रही समझने का प्रयास नहीं किया या फिर यूं कहें कि सत्ताधारी नेता होने के कारण पहले से पुलिस और प्रशासनिक अमले से मौन धारण करने की जैसे बात करने के बाद यह काम किया गया ।
वैसे शहर के अंदर ऐसी बेशकीमती शत्रु सम्पत्तियों पर कई लोग काबिज है । जिन्हे प्रशासन अवैध कब्जा मुक्त नहीं करा सका । ऐसा नहीं है कि शत्रु संपत्तियां ग्रामीण इलाकों में नहीं है । लेकिन इनका हाल जानने का जिम्मेदारों के पास समय ही नहीं है ।
मामला जब शहर के सिविल लाईन में शत्रु संपत्ति हो या वक्फ बोर्ड की भूमि का हो ! अगर किसी सत्ताधारी या फिर सत्ताधारी के इशारे पर धड़ल्ले से कब्जा किया जा रहा हो तो जिला प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठना लाजमी है । देखना यह है कि शत्रु संपत्ति और वक्फ की भूमि को जिला प्रशासन अवैध कब्जा मुक्त करा पाता है या फिर मामले को सेटिंग-गेटिंग के तहत सिस्टम में कैद कर दफन कर दिया जाता है ।