
सदस्य भी बिकने के लिए तैयार, खरीददार की बोली का इंतजार ।
फतेहपुर : लोगों के बीच जन सेवा एवं विकास का नारा लेकर जाने वाले प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद वायदों पर खरे नहीं उतरते और स्वयं के विकास में ही लग जाते हैं । जिला पंचायत सदस्यों के हुए चुनाव ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि एक बार फिर थोथे वायदे लेकर लोगों के बीच पहुंचे पुराने घाघ प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया । जिला पंचायत बोर्ड के लिए चेहरे जरूर नए हैं । लेकिन ‘अध्यक्षी’ के लिए वोट के बदले मिलने वाले नोटों की गड्डी के सपने ज्यादातर सदस्यों ने देखने शुरू कर दिए हैं ।
अध्यक्षी हथियाने की गणित शुरू हो गई है । एक दावेदार सामने भी दिख रहे हैं । बस भाजपा द्वारा उन्हें अधिकृत करने की देरी है लेकिन ज्यादातर सदस्यों के बीच इस बात की खलबली है कि आखिर इनके विरुद्ध कौन मजबूत व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिए आएगा । जिससे बोली ऊंची लग सके । अभी वह तस्वीर साफ जरूर नहीं है लेकिन यह तय है कि अध्यक्षी यूं ही मिलने वाली नहीं है । कुर्सी के लिए जहां दावेदार सौदेबाजी करते नजर आएंगे वहीं चुनाव जीत कर आने वाले अधिकतर सदस्यों को भी मालदार सौदागर की ही तलाश है ।
अब देखना यह है कि अखिर ऊंट बैठता किस करवट है ?
फतेहपुर जिले में जिला पंचायत बोर्ड का गठन 46 सदस्यों से होगा । चुनाव परिणाम सामने आ गए हैं और परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी को असहज कर दिया है । जिले में भ्रष्टाचार,अवैध खनन,अवैध वसूली,जमीनों पर कब्जों को लेकर उठते सवालों के बीच इन पर रोक न लग पाना शायद भाजपा को भारी पड़ गया और 46 में केवल 10 सीट ही काफी जद्दोजहद के बाद उसके खाते में आ सकीं । इतिहास गवाह है अध्यक्षी को लेकर यहां सदा ही मारामारी होती रही है । सदस्यों की खरीद-फरोख्त व अपने से जोड़ने की गणित चुनाव बाद से ही लगनी शुरू हो जाती है और यही सिलसिला अब फिर शुरू हो गया है । लेकिन यहां मुकाबला दिलचस्प बनाने की गणित अंदर खाने लगाई जा रही है । भाजपा ने अभी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है । लेकिन यह माना जा रहा है कि टेनी वार्ड से चुनाव जीतकर आए अभय प्रताप सिंह संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं । सपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह चुनाव मैदान में उतरेगी या नहीं ।
तीसरे फ्रंट की जोड गणित भी अंदर खाने की चल रही है ।मजबूत दावेदार न होने के चलते अभय प्रताप सिंह की खुशी लाजमी है ।
लेकिन यह तय है कि अगर अभय प्रताप भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी होते हैं तो निश्चित रूप से खेल बिगाड़ने के लिए तीसरा मोर्चा पर्दे के पीछे से बड़ा खेल खेलेगा ।
हकीकत यह है कि चुनाव जीतकर आए सदस्य भी विपक्ष में मजबूत प्रत्याशी की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं ।
सूत्रों की मानें तो मौहार वार्ड से चुनाव जीतकर आयीं प्रीति सिंह भी अध्यक्ष की कुर्सी के सपने संजो रही हैं ।
लेकिन सवाल यह उठता है कि भाजपा अपना अधिकृत प्रत्याशी किसे घोषित करेगा । एक और चेहरा ऐझी वार्ड से चुनाव जीतकर आए मनोज गुप्ता का रह-रहकर सामने आ रहा है । लेकिन सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध वह कितना पैर जमा पाएंगे ?
सवाल यहां आकर खड़ा हो जाता है ।
एक गुट ऐसा भी है जो मनोज गुप्ता को भी अध्यक्षी के सपने दिखाने में लगा हुआ है ।
हलांकि यही सपना लेकर वह चुनाव मैदान में पूरे दमखम के साथ उतरे भी थे । अध्यक्षी की जोड़-गणित में नफा नुकसान का भी आंकलन किया जा रहा है ।कोई अनुभवशील है तो कोई दूसरों से जानकारी लेकर सधे कदमों से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है । लेकिन जिस तरह से पूर्व के चुनाव में अध्यक्ष की कुर्सी में सदस्यों की जमकर खरीद- फरोख्त की गई थी ।
क्या वही हालत यहां होंगे ?
या फिर सदस्यों को फायदा पहुंचे इसके लिए ऐसे हालात पैदा करने की कोशिश की जाएगी की पद हासिल कर मलाई खाने का सपना देख रहे लोगों के द्वारा सदस्यों को आखिर क्या मिलने वाला है । अभी लक्ष्य दूर है लेकिन उस पर निशाना साधने की कवायद शुरू हो गई है । हो कुछ भी लेकिन जिस तरह से जिला पंचायत द्वारा बैरियरों के माध्यम से अवैध रूप से गुंडा टैक्स वसूला गया और भ्रष्टाचार के मामलों पर मजबूत कार्रवाई ना होने तथा पूर्ववर्ती सरकारों की तरह ही ‘योगीराज’ में भी समस्याओं से दो चार होते रहे लोगों ने मतदान कर अपना फैसला सुना दिया । इससे भला किसी का भी हुआ हो लेकिन खामियाजा बड़ी संख्या में चुनाव हार करके भाजपा के समर्थित प्रत्याशियों ने भुगता है । अध्यक्ष की कुर्सी किसकी यह तो भविष्य के गर्भ में है । लेकिन भाजपा प्रत्याशी को पूरे दमखम के साथ घेरने की नाकेबंदी की जा रही है । यह माना जा रहा है कि अगर तीसरा मोर्चा एकजुट होकर चुनाव लड़ा तो भाजपा प्रत्याशी की राह आसान नहीं होगी ।