
रवीन्द्र त्रिपाठी की खास रिपोर्ट
फतेहपुर । दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति हो तो कोई काम कठिन नहीं होता । दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि हम चांद और मंगल तक पहुंचने में कामयाब हुए । ऐसा ही कुछ 17वीं शताब्दी में विधवा महिला जमुना कुॅवर ने जनपद फतेहपुर के ऐतिहासिक नगरी खजुहा में एक विशाल मंदिर और भव्य तालाब का निर्माण कराकर अपना नाम भी इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया । किसी काम को करने के लिए धन ही महत्वपूर्ण नहीं होता इसका जीता जागता उदाहरण बन कर अमर हो गई है मुसम्माद (विधवा) जमुना कुॅवर ।
इस कहानी की पृष्ठ भूमि में जो तथ्य उभर कर सामने आए हैं वो समाज के उस चेहरे को बेनकाब करते हैं कि धन होने पर लोग किस कदर मानवीय संवेदनाओं को भूल जाते हैं । विधवा महिला जमुना कुॅवर द्वारा निर्माण कराया गया मंदिर व तालाब जो राडन तालाब के नाम से जाना जाता है वास्तु और कलाकृति का अद्भूत नमूना है । जमुना कुॅवर का परिवार मूल रूप से कानपुर जनपद के बरईगढ का है । बरईगढ पान उत्पादन का एक प्रमुख स्थान है । हालांकि समय परिवर्तन के साथ अब पान उत्पादन में कमी आई है ।
व्यापार में मंदी के चलते यह परिवार बरईगढ से पलायन कर फतेहपुर जनपद के कस्बा जहानाबाद में आकर अपना तांबें के बर्तनों व पंसारी का व्यवसाय शुरू किया । समय ने करवट ली और उन्हें जहानाबाद छोड़ कर ऐतिहासिक धार्मिक नगरी खजुहा में व्यवसायिक दृष्टिकोण से आना पड़ा और स्थाई रूप से यही के निवासी हो गए । खजुहा में जमुना कुॅवर की दसवीं पीढ़ी के परिजन अभी भी रह रहे हैं । हालांकि परिवार के कई लोग व्यापार के लिए मिर्जापुर, पटना व कलकत्ता में जाकर स्थाई रुप से तांबें के बर्तनों व पंसारी का व्यवसाय कर रहे हैं ।
जमुना कुॅवर की दसवीं पीढ़ी के अजय प्रकाश गुप्ता ने इस बारे में बताया कि सत्रहवीं शताब्दी में जब आवागमन के साधन नहीं थे जल मार्ग से व्यापारिक गतिविधियां होती थी उनके पूर्वज गंगा यमुना से नावों द्वारा आवागमन कर व्यवसाय करते थे । इसी लिए ऐसे ही स्थानों में निवास करते थे जहां गंगा यमुना जैसी परिवहन की सुविधा उपलब्ध हो । जनपद फतेहपुर, मिर्जापुर, कलकत्ता व पटना को इसी लिए चुना था ।
महिला तिरस्कार ने निर्माण को दिया अंजाम
अजय प्रकाश गुप्ता ने विधवा जमुना कुॅवर द्वारा निर्माण कराए गए या तालाब व मंदिर के बारे में उनके पूर्वजों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक बताया कि सत्रहवीं शताब्दी में खजुहा के धनी मानी व्यापारी तुलाराम गुप्ता ने नगर के उत्तरी पूर्वी छोर पर एक भव्य तालाब व मंदिर का निर्माण कराया था । एक दिन जमुना कुॅवर परिवार की महिलाओं के साथ तुलाराम के तालाब में स्नान करने गई थी और मुल्तानी मिट्टी से बाल धुल रही थी उसी समय तुलाराम के घर की महिलाएं आ गईं और जमुना कुॅवर को अपने धन का अभिमान दिखाते हुए बाल धो रही महिलाओं को बेइज्जती के साथ भला बुरा कहते हुए बोली आज के बाद इस तालाब को गन्दा करने के लिए मत आना।अगर बहुत तालाब में नहाने का शौक है तो खुद तालाब बना कर दिखाना । यह बात जमुना कुॅवर को तीर की तरह घर कर गई और उन्होंने दृढ़ प्रतिज्ञ होकर संकल्प लिया कि जब तक ऐसा ही भव्य व शानदार तालाब व मंदिर का निर्माण नहीं करा देंगी तब तक किसी भी तालाब में स्नान नहीं करेंगी ।
दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति के चलते विधवा जमुना कुॅवर ने तालाब व मंदिर निर्माण के लिए ताना-बाना बुना । मंदिर व तालाब निर्माण के लिए एक बड़ी धनराशि के लिए योजनाबद्ध होकर काम शुरू किया । यद्यपि मुसम्माद जमुना कुॅवर के पास काफी सम्पत्ति थी इसके वावजूद अपनी कुछ महिला सहयोगियों के साथ धन संकलन के लिए अतिरिक्त काम व मेहनत की । किंवदंती के अनुसार जमुना कुॅवर ने लोगों के घरों में जाकर आटा चकिया चलाकर भी धन जुटाया ।
मंदिर तालाब निर्माण काल में सूखा पड़ा था लोगों को दो जून की रोटी मुहैय्या नहीं हो पा रही थी । जमुना कुॅवर ने ऐसे मे ऐलान कर दिया कि जो मेरे मंदिर तालाब निर्माण में काम करेगा उसे उसका पारिश्रमिक तो मिलेगा ही साथ में उसके पूरे परिवार के खाने पीने की भी सामग्री उपलब्ध कराएंगी ।
मेहनत कश लोगों ने भी तन मन से लग कर एक भव्य मंदिर व तालाब के निर्माण का सपना पूरा कराया । जिस दिन मंदिर व तालाब का निर्माण पूर्ण हुआ वह दिन विधवा जमुना कुॅवर के लिए खास बन गया ।
बेजोड़ कलाकृति का नमूना है मंदिर
जमुना कुॅवर द्वारा निर्माण कराया गया मंदिर एक सुंदर कलाकृति का अद्भूत नमूना है । मंदिर में बने कंगूरे उन पर लगे धातु के त्रिशूल मंदिर को शोभायमान करते हैं । दर्शनीय मंदिर व तालाब आज राडन के तालाब के नाम से सुविख्यात है ।
घाटों से सुसज्जित पक्का तालाब
मुसम्मात जमुना कुॅवर द्वारा निर्माण कराया गया मुगल रोड से जुडा राडन तालाब चारो ओर से पक्का है । चारों दिशाओं में स्नान करने की सीढ़ियां बनाई गई हैं । पूर्वी छोर पर गौवंशो को पानी पिलाने के लिए गौघाट का भी निर्माण है ।
राडन तालाब नाम कैसे पड़ा
सत्राहवीं शताब्दी एक ऐसा कालखंड था जब विधवा महिला को समाज का अभिशाप माना जाता था।यहां तक विधवा महिलाएं इतना तिरस्कृत होती थी की यात्रा के समय या मांगलिक कार्यों में इनकी उपस्थिति को अमंगलकारी माना जाता था ।
विधवा जमुना कुॅवर द्वारा निर्माण कराया गया मंदिर व तालाब शायद इसी वजह से अभिशिप्त हो गया । तत्कालीन समाज ने इसे राड महिला द्वारा निर्माण कराए जाने की वजह से या का तालाब कह कर दूरी बना ली । अन्ततः इस तालाब का नाम राडन का तालाब हो गया । यह तालाब व मंदिर दर्शनीय है ।
पुरातत्व विभाग से संरक्षित किए जाने की मांग
ऐतिहासिक धार्मिक व सांस्कृतिक नगरी स्थिति सत्रहवीं शताब्दी में निर्मित राडंन तालाब व मंदिर को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किए जाने की यहां के प्रमुख निवासी जमुना कुॅवर परिवार की वृद्धा निर्मला गुप्ता,सामाजिक कार्यकर्ता विकास अवस्थी, पूर्व प्रधान अंकित शुक्ला,दीपू त्रिपाठी, अवधेश मिश्राव राम प्रताप यादव आदि ने मांग की है ।