
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच सियासी घमासान अब भी ज़ारी है । पार्टी की ये आंतरिक कलह दिल्ली तक पहुंच गई है और दोनों नेता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मिलना चाहते हैं ।
टीएस सिंहदेव ने 16 जुलाई को पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था । हालांकि, उन्होंने अपने अन्य विभागों को बरकरार रखा था ।
इसके बाद पार्टी नेताओं को भाजपा की सेंधमारी की चिंता सताने लगी है । विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू होते ही बीजेपी ने बघेल सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है ।
लेकिन, इस बीच दोनों नेता दिल्ली में मौजूद थे और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता राहुल गांधी से मुलाक़ात का इंतज़ार कर रहे थे । लेकिन, बघेल और सिंहदेव दोनों की ही पार्टी नेतृत्व से मुलाक़ात नहीं हो पाई है ।
वहीं, सीएम बघेल अब छत्तीसगढ़ लौट गए हैं । वह हिमाचल प्रदेश चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भी हैं, उन्होंने दिल्ली में हिमाचल कांग्रेस के नेताओं से मुलाक़ात की । वह 27 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के बाद दोबारा दिल्ली आ सकते हैं ।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ सीएम बघेल ने रविवार को कहा कि दिल्ली दौरे पर उनकी पार्टी नेतृत्व से मुलाक़ात नहीं हो पाई लेकिन उन्होंने आने वाले चुनावों की रणनीति को लेकर हिमाचल प्रदेश के पार्टी नेताओं से मुलाक़ात की ।
सीएम बघेल शनिवार शाम को दिल्ली के लिए निकले थे । सिंहदेव तब भोपाल में थे और उसी शाम वो भी दिल्ली के लिए रवाना हो गए । टीएस सिंहदेव के दिल्ली में होने और पार्टी प्रमुख से मुलाक़ात को लेकर सीएम बघेल ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेताओं से कोई मुलाक़ात नहीं हुई और वो वहां हिमाचल प्रदेश के नेताओं से बात करने गए थे ।
सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच ये टकराव जून 2021 से चल रहा है जब बघेल के सीएम के रूप में ढाई साल पूरे हुए थे । छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फ़ॉर्मूला लागू नहीं होने के बाद, इस्तीफ़े को टीएस सिंहदेव की इसी नाराज़गी से जोड़ कर देखा जा रहा है ।