
किशुनपुर-फतेहपुर : चल रहे टीकाकरण मैं आशा बहू का जहां रोल अहम है । वही ग्रामीणों के घरों में जाकर उन्हें किस तरह बेइज्जत होना पड़ता है ।
इसका उदाहरण किशनपुर क्षेत्र की एक आशा बहू कि आप बीती है ।
टीकाकरण के लिए ग्रामीण के घर पहुंची आशा बहू को गृह स्वामिनी ने उन्हें इस कदर फटकारा जैसे वह टीकाकरण नहीं बल्कि जहर का टीका लगाने आई हो ।
आशा बहू ने उसे लाख समझाने की कोशिश की कि टीका लगवाने से उससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मिलेगी ताकत आएगी तो महिला ने शोर मचाते हुए कहा कि मैं बकरी गाय का दूध पीती हूं मुझे ताकत नहीं चाहिए ।
मुझे मरना है तो मर जाने दे लेकिन रोज-रोज मेरे घर अब जो आई तो ठीक नहीं होगा । इसके बावजूद अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आशा बहू ने बहुत विनती किया फिर भी वह टीकाकरण के लिए राजी नहीं हुई ।