
वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी की खास रिपोर्ट
फतेहपुर । नगरीय निकाय चुनाव की अभी आयोग ने तिथियों की घोषणा नही किया लेकिन सत्तादल सहित सभी राजनैतिक दलों ने गोटियां बैठिनी शुरु कर दिया है । हालांकि सत्ता दल भाजपा चुनाव को लेकर कुछ ज्यादा ही संजीदा दिख रही है ।
फतेहपुर नगर के चुनाव को लेकर भले भाजपा जनता की नब्ज जान चुकी हो या जीत के आंकड़े बना रही हो लेकिन नगरीय निकाय चुनाव यहां धर्म-जाति एवं जुमले बाजी से ऊपर उठकर विकास की ओर जाएगा । खासकर भाजपा के बड़े नेताओं को कांटों पर चलकर कड़ी परीक्षा देनी होगी ।
भाजपा ने मौजूदा समय में निकाय चुनावी जीत को लेकर उसने अपनी गोटें बिछानी शुरू कर दी है लेकिन केंद्र व प्रदेश सरकार में काबिज भाजपा के विधायकों के होने के बावजूद विकास नाम की शहरों में कहीं भी वह चीज नहीं दिखाई पड़ा रही है । जनता को जिसकी उम्मीद थी ।
फतेहपुर जिले में तीन नवसृजित नगर पंचायतों असोथर, खखरेरू तथा कारीकान धाता को मिलाकर बहुआ,जहानाबाद ,किशनपुर,हथगांव व खागा नगर पंचायतों एवं नगरपालिका परिषद फतेहपुर, बिंदकी में चुनाव होना है ।
अनुमान के मुताबिक 15 से 20 नवंबर के बीच आरक्षण जारी होने के बाद चुनाव की घोषणा कभी भी निर्वाचन आयोग कर सकता है । चुनावी आहट से चुनाव लड़ने का मन बना चुके राजनैतिक दलों एवं गैर राजनैतिक दलों के लोग वाकिफ हो चुके हैं । उनकी तैयारियां शुरू हैं । लेकिन सबसे अधिक भारतीय जनता पार्टी नगरीय निकाय चुनाव को लेकर संजीदा दिखाई पड़ रही है ।
इतना ही नहीं जिला संगठन से लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति,कैबिनेट मंत्री राकेश सचान एवं प्रभारी के तौर पर लगाए गए । बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह की भी कड़ी परीक्षा होनी है । समाजवादी पार्टी ने भी चुनावी ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है । कांग्रेस,बसपा, आम आदमी पार्टी सहित अन्य के चुनाव को लेकर पत्ते पूरी तरह से बंद हैं । जिस जनता को नगर पालिका व नगर पंचायतों की सत्ता तक पहुंचाना है उसने भी चुनावी चर्चा शुरू कर दी है । लोकसभा,विधानसभा चुनाव में जनता के बीच राष्ट्रप्रेम का भाव जाग्रत कर उनकी भावनाओं एवं धर्म-जाति के कॉकटेल के बीच चुनावी जीत का फार्मूला भले ही भाजपा के हांथ लगा हो लेकिन पंचायत चुनाव एवं नगरीय निकाय के चुनाव में यह फार्मूला कहा तक सफल होगा ।
यह एक बड़ा सवाल हैं ?
नगरपालिका परिषद फतेहपुर,बिन्दकी सहित अन्य नगर पंचायतों में विकास कार्यों का आंकलन कर जनता की शिकायतों की सुनवाई का पैरामीटर लोगों ने तैयार करना शुरू कर दिया है । यह तय है कि नगर पालिका व नगर पंचायतों के चुनाव विकास की राह से ही गुजरेंगे । अगर जनता ने विकास को आगे रखा तो भाजपा के लिए नगरीय निकाय का चुनाव जिले में कांटे भरी राह से कम नहीं होगा । दावे सबके अपने अलग-अलग हैं । प्रदेश में भाजपा की सत्ता होने एवं सभी जनप्रतिनिधि जिले में होने के बावजूद गत निकाय चुनाव में महत्वपूर्ण 3 सीटों पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी । सत्ता के नशे में चूर भाजपा के नेताओं ने आम जनता से कितना जुड़ाव बना कर रखा है । यह किसी से छिपा नहीं है । अब देखना यह है कि नगर पालिका,नगरपंचायतों की कुर्सी पर कब्जा जमाने को लेकर ऊट किस करवट बैठेगा ?