
जयपुर
राजस्थान में इस सीजन में सर्दी के तेवर अब तक नरम ही रहे है । नए साल का वेलकम भी कड़ाके की सर्दी से न होकर सामान्य सर्दी से होगा । भले ही पिछले 2-3 दिन से उत्तरी हवाएं चलने से राजस्थान में के कुछ हिस्से शीत लहर की चपेट में आए हो और कोल्ड-डे कंडिशन बनने के साथ पारा माइनस में चला गया हो । लेकिन सर्दी के ये तेवर अगले 24 घंटे ही रहेंगे। 29 दिसंबर से राज्य में फिर से तापमान बढ़ने लगेगा और सर्द हवा और कोहरे से राहत मिलने लगेगी । इसके बाद 4 जनवरी से कड़ाके की सर्दी पड़ेगी ।
हर साल की तरह इस साल लोगों को 31 दिसंबर या एक जनवरी को तेज सर्द हवाओं और कड़ाके की सर्दी जैसा मौसम देखने को नहीं मिलेगा । मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक 29 दिसंबर से उत्तर भारत के हिस्सों में एक नया वेस्टर्न डिर्स्टबेंस एक्टिव होगा । इसका असर गिलगिट-बाल्टिस्तान,कश्मीर,लद्दाख और हिमाचल प्रदेश की ऊंची पहाड़ियों पर देखने को मिलेगा ।
इससे वहां बारिश के साथ हल्का स्नोफॉल (बर्फबारी) होगा । इस सिस्टम के एक्टिव होने से उत्तरी हवाओं का मैदानी इलाकों में आना कम हो जाएगा । जिससे तापमान बढ़ने लगेगा और लोगों को ठंड से थोड़ी राहत मिलने लगेगी । इस सिस्टम का असर 2-3 जनवरी तक रहेगा । 4 जनवरी से वापस उत्तरी हवाएं एक्टिव होंगी और तापमान गिरने लगेगा । जिससे एक बार फिर कोल्ड-वेव और कोल्ड जैसी कंडिशन देखने को मिलेगी ।
2016 के बाद पहला सीजन जाएगा सूखा
इस सीजन सर्दी कम पड़ने के साथ मावठ भी अब तक नहीं हुई और 31 दिसंबर तक प्रदेश में मावठ होने के कोई आसार भी नहीं है । साल 2016 के बाद ये ऐसा होगा । जब दिसंबर के महीने में एक बूंद पानी कहीं नहीं बरसा । साल 2016 में भी दिसंबर के महीने में एक बूंद पानी नहीं बरसा था । उस साल चूरू में दिसंबर का न्यूनतम तापमान 4.1 डिग्री सेल्सियस से नीचे ही नहीं गया था ।
वहीं, बीकानेर में भी साल 2016 का दिसंबर सबसे कम ठंडा रहा था । यहां दिसंबर के महीने का सबसे कम तापमान 8.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ था ।
चूरू में 12 साल में पांचवी बार पारा माइनस में नहीं गया ।
राजस्थान में चूरू ऐसा इलाका है जो गर्मी में भट्टी की तरह तपता है । सर्दियों में ये कुल्लू-मनाली से भी ज्यादा ठंडा हो जाता है । यहां गर्मियों में आमतौर पर अधिकतम तापमान 47-48 पर पहुंच जाता है और कई बार ये 50 पर पहुंचा है। वहीं दिसंबर-जनवरी में यहां बर्फ जम जाती है ।
पारा माइनस 2 से भी नीचे तक चला जाता है । पिछले 11 साल की रिपोर्ट देखे तो चूरू में 3 सीजन (साल 2012, 2014, 2016 और 2017 ) ही ऐसे गए है । जब दिसंबर में पारा माइनस में नहीं गया था। इस सीजन में भी ऐसा हुआ है । हालांकि चूरू में कल तापमान 0 पर दर्ज हुआ । लेकिन माइनस में अब तक नहीं गया ।
मानसून के बाद दिसंबर से लेकर मई तक राज्य में बारिश होती है वह वेस्टर्न डिर्स्टबेंस से होती है ।
दिसंबर,जनवरी में मावठ होने के पीछे भी बड़ा कारण वेस्टर्न डिर्स्टबेंस ही होता है । लेकिन इस सीजन में राजस्थान में दिसंबर में एक भी वेस्टर्न डिर्स्टबेंस नहीं आया । जिसके कारण इस साल दिसंबर सूखा ही बीत रहा है ।
मौसम विशेषज्ञों और पुराने रिकॉर्ड देखे तो दिसंबर के महीने में एक से तीन अलग-अलग दौर में ये सिस्टम आता है । जिसका सबसे ज्यादा असर गंगानगर,हनुमानगढ़,बीकानेर और झुंझुनूं,चूरू एरिया में देखने को मिलता है । इस बार गंगानगर में एक वेस्टर्न डिर्स्टबेंस नहीं आने से यहां बारिश की एक बूंद नहीं पड़ी ।
हालांकि, पिछले 3-4 दिन ये यहां घना कोहरा छा रहा है । जिससे लोगों को 29 दिसंबर से राहत मिलने लगेगी ।
पिछले 11 साल में सबसे कम ठंडा रहा गंगानगर
गंगानगर में अमूमन दिसंबर के महीने में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस या उससे नीचे चला जाता है । लेकिन इस बार ऐसा एक बार भी नहीं हुआ ।
विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले दिनों की जो कंडिशन बन रही है उसमें तापमान गिरने के बजाए अब धीरे-धीरे बढ़ेगा । इसे देखकर संभावना यही जताई जा रही है कि गंगानगर में आने वाले 5-7 दिनों में न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की कोई उम्मीद नहीं है । अगर ऐसा होता है तो ये सीजन गंगानगर के लिए पिछले 12 साल में सबसे कम ठंडा दिसंबर होगा ।