
बिन्दकी/फतेहपुर । नगर के मोहल्ला मीरकपुर में चल रही रामकथा के दूसरे दिन आज बाल व्यास हरिदास जी महाराज ने जहां श्री राम चंद्र के छोटे भाई भरत जी के चरित्र पर प्रकाश डाला । वहीं उन्होंने परम भक्त हनुमानजी को उनके समकक्ष बताया ।
बाल व्यास ने कहा कि हनुमान जी के बारे में स्वयं प्रभु श्री राम कहते हैं कि “तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई”।
भक्तों में हनुमान जी सबसे अग्रणी है । वह जहां बल और वीरता के प्रतीक हैं । वही ब्रह्मचर्य और बुद्धिमत्ता के भी सिरमौर हैं । हनुमान जी की वीरता पर उन्होंने विस्तार से प्रकाश डाला और समय-समय पर प्रदर्शित हुई उनकी बुद्धिमत्ता का भी उल्लेख किया ।
उन्होंने श्री रामचंद्र जीके भाई भरत के उदात्त चरित्र की चर्चा करते हुए कहा कि जैसा समर्पण और त्याग प्रेम भरत जी का पाया जाता है वैसा कहीं नहीं दिखता । स्वयं रामचंद्र जी ने अपने अनुज लक्ष्मण को समझाते हुए कहा था कि भरत रघुवंश रूपी सरोवर में एक हंस की भांति हैं । जो नील और खीर को अलग करने का विवेक और कौशल रखते हैं गोरूपी दूध को ग्रहण कर पानी रूपी अवगुण को त्यागने वाले भरत को आगरा ब्रह्मा विष्णु और महेश का पद भी मिल जाए तो उन्हें राज मद नहीं होगा । यदि मच्छर के फूंक से सुमेरू पर्वत उड़ जाए धरती माता सहज ही अपना गुण क्षमा का त्याग कर दें या समुद्र को पी जाने वाले अगस्त मुनि गाय के पैरों से बने गड्ढे में डूब जाएं तो भी भरत को राज मद नहीं हो सकता ।
उन्होंने भरत को शुचि और सुबंधु मानते हुए कहा कि ऐसा भाई दूसरा कोई नहीं हो सकता । राम वन गमन और दशरथ के निधन का समाचार सुन भरत की प्रतिक्रिया और माता कैकेई पर उनकी टिप्पणियों का भी उन्होंने उल्लेख किया ।हरिदास जी महाराज ने वाद्ययंत्रों की सुमधुर धुनों के बीच महाबली हनुमान जी की भक्ति और समर्पण पर भी प्रकाश डाला ।
इस अवसर पर संत सूर्य प्रबोधानंद ने इसी क्रम को आगे बढ़ाया और उन्होंने सामाजिक सरोकारों पर चर्चा करते हुए कहा कि लोगों को संस्कारित होना होगा और अपने मानव जीवन को सार्थक करते हुए व्यसनों से दूर रहना होना जिससे भावी पीढ़ी भी संस्कार युक्त हो । कथा के समापन पर संयोजक रमेश ओमर द्वारा प्रसाद वितरित किया गया ।