
– अनाचार,अत्याचार,अहंकार और अधर्म का प्रतीक है रावण – हरिदास महाराज
बिन्दकी/फतेहपुर । बिन्दकी नगर के मोहल्ला मीरखपुर में चल रही तीन दिवसीय रामकथा के अंतिम दिन आज बाल व्यास हरिदास जी महाराज ने कहा कि राम जी का अवतार ही विप्र धेनु सुर संत के हितों की रक्षा के लिए हुआ था । उन्होंने अनाचार अत्याचार अहंकार और अधर्म के प्रतीक बन चुके रावण का वध करके जहां लोक कल्याण किया वहीं रावण को गति प्रदान की ।
बाल व्यास ने अपनी कथा में पहले तो भरत जी के चरित्र पर ही प्रकाश डाला तत्पश्चात उन्होंने रावण वध का वर्णन किया । उन्होंने रावण द्वारा किए जा रहे आसुरी कृत्यों,देवताओं संतों व भक्त ब्राह्मणों के के साथ किए जा रहे अत्याचार का उल्लेख करते हुए कहा कि त्रेता युग का महा प्रतापी एवं प्रकांड विद्वान दशानन अधर्म और अहंकार का प्रतीक बन चुका था । इसलिए लोक कल्याण के लिए उसका वध आवश्यक था ।
हरिदास जी महाराज ने अपनी के अंत में पुरुषों और महिलाओं को किस तरह आचार बिहार और व्यवहार करना चाहिए । इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव जीवन धन्य है और इसकी सार्थकता तभी है जब हम अपने इस जीवन को धर्म अध्यात्म और सामाजिक सरोकारों से ओतप्रोत रखें ।
कथा के अंत में संयोजक रमेश ओमर,लक्ष्मी चंद्र ओमर,अनूप अग्रवाल,शांतिलाल तिवारी आदि के हाथों प्रसाद वितरित किया गया ।
कल सोमवार को ब्रह्म भोज का आयोजन होगा ।