
कोरोना काल में बदलती हुई देश की परिस्थितियां । जहाँ चुनाव स्थगित होना चाहिए वहाँ चुनाव कराए जा रहे हैं ।
पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं । राज्य में विधानसभा चुनाव हैं जिसके लिए रैलियां हो रही हैं, जनसभाएं हो रही हैं । इन रैलियों में उमड़ने वाले लोगों की संख्या और कोरोना महमारी के संकट को लेकर चिंता ज़ाहिर करते हुए सीपीआईएम, कांग्रेस और टीएमसी के बाद अब बीजेपी ने भी अपनी चुनावी रैलियों में जुटने वाली भीड़ पर अंकुश लगाने का फैसला किया है ।
पार्टी ने तत्काल प्रभाव से बड़ी रैलियों और सभाओं पर रोक लगाने का निर्णय लिया है ।
बीजेपी ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि बीजेपी बंगाल चुनाव के बाकी बचे तीन चरणों के लिए छोटी-छोटी सभाएं करेगी । इसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों की सभाओं में पांच सौ से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकेंगे । सभी रैलियां खुली जगहों पर आयोजित की जाएंगी ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित किया जा सके ।
पार्टी ने राज्य में छह करोड़ मास्क और सैनिटाइज़र बांटने का भी लक्ष्य रखा है । बीजेपी यह सुनिश्चित करेगी कि चुनावी रैलियों में कोरोना के प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाए. लेकिन इसके साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा कि भीड़ पांच सौ से ज्यादा नहीं हो ?
अभी 22 और 26 अप्रैल को क्रमशः छठे और सातवें चरण के मतदान के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम से कम चार रैलियां होनी हैं । उनके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा के अलावा अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के भी कई रोड शो और रैलियों का आयोजन किया जाना है ।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर सीपीएम ने पहल की थी और कोई भी बड़ी सभा या रैली आयोजित नहीं करने का फैसला किया था ।
लेफ्ट फ्रंट की ओर से एक ट्वीट में कहा गया था, “पश्चिम बंगाल चुनाव के बाकी चरणों के दौरान बड़ी सभाओं के आयोजन से परहेज करने का फैसला किया गया है । इसके बजाय घर-घर जाकर और सोशल मीडिया के ज़रिए अभियान चलाने पर जोर दिया जाएगा ।”
उसके बाद रविवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए वे पश्चिम बंगाल में अपनी सभी सार्वजनिक रैलियों को स्थगित कर रहे हैं ।
उसके बाद टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार में कटौती करने का फैसला किया था । उन्होंने कहा था कि वे प्रतीकात्मक तौर पर सिर्फ 26 अप्रैल को कोलकाता में एक रैली करेंगी. उसके अलावा कोलकाता में उनका कोई चुनावी प्रचार नहीं होगा । उन्होंने दूसरे ज़िलों में अपनी तमाम रैलियों का समय घटा कर आधे घंटे करने का भी फैसला किया है ।