
फतेहपुर । माली सैनी समाज के निर्माता एंव समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फूले जी की प्रतिमा बनवाएं जाने की मांग की । महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले का जन्म पुणे में (11 अप्रैल 1827 को हुआ था एव – 28 नवम्बर 1890 को मृत्यु हो गई थी) । यह एक भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक,विचारक,समाजसेवी,लेखक,दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे । इन्हें महात्मा फुले एवं ”जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है । सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया । महिलाओं व पिछडे और अछूतो के उत्थान के लिये इन्होंने अनेक कार्य किए । समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे । वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे ।
फतेहपुर भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला सोशल मीडिया प्रमुख समाजसेवी रेवाड़ी बुजुर्ग निवासी अजीत कुमार सैनी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से महात्मा ज्योतिबा फूले की प्रतिमा बनवाने की मांग किया है जिस पर मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव अजय कुमार ओझा ने फतेहपुर जिलाधिकारी को आदेश करते हुए अग्रिम कार्यवाही करने के निर्देश भी दिया । अजीत कुमार सैनी ने प्रतिमा बनवाने के साथ साथ किसी पार्क का नाम भी ज्योतिबा फूले के नाम करने की मांग रखा है । उन्होने मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से यह भी अवगत कराया है कि फतेहपुर जनपद में अनेक महापुरुषों की प्रतिमा भी स्थापित है और कई चौराहों का नाम भी महापुरूषों के नाम है ।
महात्मा ज्योतिबा फूले का मूल उद्देश्य यह था कि स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है । फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे । अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में,स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया 11वी सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी । फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे । उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई थीं । स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे । इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे । उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की । सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका भी थीं ।