
फतेहपुर गाजर घास नियंत्रण जगरूकता सप्ताह का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जाएगा ।
यह जानकारी देते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी फतेहपुर श्री ब्रजेश सिंह ने बताया कि गाजर घास यानी पोर्थनियम पिछले कई वर्षो से आपके खाधान्न फसलो,सब्जियों,उद्यान आदि में प्रकोप के साथ साथ मनुष्य की त्वचा सम्बन्धी बीमारियों यथा एग्जिमा,एलर्जी,बुखार तथा दमा इत्यादि बीमारियों का प्रमुख कारण बना हुआ है । गाजर घास वर्षभर फल-फूल सकता है । परन्तु वर्षा ऋतु में इसका अधिक अंकुरण होने पर यह एक भीषण खरपतवार का रूप ले लेता है ।
आई०सी०ए०आर०- केन्द्रीय खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर द्वारा इस अप्रिय खरपतवार के प्रबंधन एवं उन्मूलन हेतु जन सामान्य को प्रेरित/जागरूक किया जाता है । इसी क्रम में कृषि विभाग, उ०प्र० द्वारा जगह-जगह संगोष्ठियाँ कर के /आपस में चर्चा के माध्यम से लोगो को गाजर घास के दुष्प्रभाव एवं नियंत्रण के बारे में जागरूक किया जा रहा है ।
साथ ही गाजर घास के नियंत्रण एवं उन्मूलन सम्बन्धी दिशा निर्देश निम्नवत निर्गत किये जा रहे है –
वर्षा ऋतु में गाजर घास को फूल आने से पहले जड़ से उखाड़कर कम्पोस्ट एवं वर्मीकम्पोस्ट बनाने हेतु प्रयोग किया जाये । खेतो की मेडो एवं चकमार्गो के किनारे उगे गाजर घास को उखाड़कर गढ्ढे में दबा कर नष्ट किया जाये । वर्षा आधारित क्षेत्रों में शीघ्र बढ़ने वाली फसले यथा ढैचा, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि की फसले लेना चाहिये ।
अक्टूबर,नवम्बर में अकृषित क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मक पौधो जैसे चकौडा (सेन्ना सिरेसिया) के बीज एकत्रित कर उन्हें फरवरी मार्च में छिड़क देना चाहिए । यह वनस्पतिया गाजर घास की अति वृद्धि एवं विकास को रोकती है ।
घर के आस पास बगीचे उद्यान एवं संरक्षित क्षेत्रों में गेंदें के पौधे उगाकर गाजर घास के फैलाव एवं वृद्धि को रोका जा सकता है ।
रासायनिक नियंत्रण हेतु ग्लायफोसेट (10 से 15 प्रतिशत) अथवा मैट्रीब्यूजिन (0.3 से 1.5 प्रतिशत) का छिडकाव कराना चाहिए । जैविक नियंत्रण हेतु मैक्सिकन बीटल (जाइगो ग्रामा बाइक्लोराटा) नामक कीट को वर्षा ऋतु में गाजर घास पर छोड़ना चाहिए ।
अपने परिसर को गाजर घास से मुक्त करने के लिए सभी सम्भव प्रयास करने चाहिए ।