
– चूहे के मूत्र के जरिये फैल रही बीमारी ।
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) : बीएचयू के जीवविज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है । कोरोना की चपेट में आने वालों की मृत्यु दर से एक से डेढ़ फीसदी है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस की तीन से 10 फीसदी है। इस बीमारी के वाहक चूहे हैं ।
कोरोना से भी खतरनाक लेप्टोस्पायरोसिस ने वाराणसी में दस्तक दी है । यह बीमारी चूहों से होती है। बच्चों को ही निशाना बनाती है । अब तक 10 से अधिक बच्चे चपेट में आ चुके हैं । शहर के निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है । मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है ।
तेज बुखार के कारण चेतगंज की बालिका को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया । डॉक्टरों ने जांच कराई, लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आई । इसके बाद सी रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) जांच कराई गई । सीआरपी ज्यादा मिली तो डॉक्टर चिंतित दिखे । आशंका के आधार पर लेप्टोस्पायरोसिस की जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई ।
सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में जानकारी मिली है । बाल रोग विशेषज्ञों को अलर्ट किया गया है । इससे पहले 2013 में मामले सामने आए थे । मंडलीय अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी गुप्ता ने बताया कि ओपीडी में मरीज आ रहे हैं ।
लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के लक्षण –
बुखार, शरीर, पीठ और पैरों में तेज दर्द, आंख में लाली, पेट में दर्द, खांसी, खांसी के साथ खून आना, सर्दी के साथ बुखार आना और शरीर में लाल चकत्ते । बुखार 104 डिग्री से अधिक हो सकता है ।
लेप्टोस्पायरोसिस बचने के लिए बरतें ये सावधानी –
– जिस तालाब में जानवर जाते हैं, वहां नहाने से बचें ।
– चूहे घर में हैं तो सावधानी बरतें ।
– बाहर से लाए गए प्लास्टिक के पैकेट को साफ करके इस्तेमाल करें ।
– मानसून के दौरान स्विमिंग, वाटर स्कीइंग, सेलिंग से बचें ।
– घर के पालतू जानवरों की साफ-सफाई पर भी जरूर ध्यान दें ।
तीन चार दिन से ज्यादा है बुखार तो ना लें हल्के में –
भारतीय बाल अकादमी के अध्यक्ष डॉ. आलोक भारद्वाज के मुताबिक,बुखार अगर तीन-चार दिन से ज्यादा है तो इसे हल्के में न लें। सीआरपी की जांच कराइए । अगर सीआरपी ज्यादा आए तो समझ लें बैक्टीरियल बुखार है । इसके बाद लेप्टोस्पायरोसिस की जांच करानी होगी । इसके लक्षण डेंगू और वायरल से मिलते हैं । इसमें प्लेटलेट्स तेजी से नहीं डाउन होता है । 30 से 40 हजार तक पहुंचने के बाद रिकवर हो जाता है ।
चूहे के मूत्र के जरिये फैल रही बीमारी –
नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक राय के मुताबिक अब तक बाल लेप्टोस्पायरोसिस पीड़ित पांच बच्चों का इलाज कर चुके हैं । यह बीमारी चूहे के मूत्र के जरिये बच्चों में फैल रही है । इसमें डेंगू की तरह ही बुखार आएगा । यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है । पहले सामान्य बुखार होता है । लक्षण पांच से छह दिन बाद मिलते हैं । सही इलाज न मिले तो बुखार 10 से 15 दिन रहता है । इससे कभी पीलिया तो कभी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है ।
कोरोना से ज्यादा खतरनाक है बैक्टीरिया –
बीएचयू के जीवविज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है । कोरोना की चपेट में आने वालों की मृत्यु दर से एक से डेढ़ फीसदी है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस की तीन से 10 फीसदी है । इस बीमारी के वाहक चूहे हैं । चूहे ने कहीं पेशाब किया और आपकी स्किन कटी है तो अगर आप इसके संपर्क में आते हैं तो लेप्टोस्पायरोसिस होने की आशंका रहती है । यह बैक्टीरिया छह महीने तक पानी में जीवित रह सकता है । जुलाई से अक्तूबर के बीच बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा होता है ।
1980 में सबसे पहले चेन्नई में मिला था बैक्टीरिया –
प्रो. चौबे ने बताया कि 1980 में सबसे पहले इस बैक्टीरिया की पहचान चेन्नई की गई थी । उत्तर प्रदेश में पहला मरीज 2004 में मिला था । 43 वर्षों में बैक्टीरिया ने अपना स्वरूप बदल लिया है । पहले जहां यह 40 से 45 आयु वर्ग को प्रभावित कर रहा था । इस बार के संक्रमण में बच्चे इसकी जद में सबसे ज्यादा है ।