
कानपुर : रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल,कानपुर के डाक्टरों ने समय पर कार्रवाई करते हुए आठ साल के बच्चे के कटे हुए अंगूठे को कुछ ही घंटों के भीतर जोड़ने में मदद की । हाथ सर्जरी दिवस पर हॉस्पिटल ने माइक्रोस्कोप के तहत की गई क्रिटिकल सर्जरी के बारे में जानकारी दी ।
रीजेंसी हॉस्पिटल में हैंड & माइक्रो वैस्कुलर रीकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉ अजीत तिवारी ने कहा कि लड़के को उसके पिता ने तब लाया था । जब उसका दाहिना अंगूठा कट गया था । लड़का कानपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूर गाँव में रहता था लड़के ने गलती से चारा काटने की मशीन से अपना अंगूठा डाल दिया था । जिससे उसका अंगूठा कट गया था ।
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कानपुर के हैंड & माइक्रो वैस्कुलर रीकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉ० अजीत तिवारी ने कहा, “दुर्घटना के 3 घंटे के भीतर लड़के को कटे हुए अंगूठे के साथ हॉस्पिटल लाया गया और हमने माइक्रोस्कोप के तहत सर्जरी की,जिसमें लगभग 6-7 घंटे लगे। हमने पहले हड्डी, फिर ब्लड वेसेल्स और फिर नसों को जोड़कर एक ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी की । अंत में त्वचा को सिला गया । ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी शरीर के उस हिस्से पर की जाती है जो हिस्सा शरीर से पूरी तरह से अलग हो जाता है । ऐसे हिस्सों को सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से जोड़ा जाता है । जिसमें ब्लड वेसेल्स को जोड़ने के बाद ब्लड सर्कुलेशन होने लगता है । हमें खुशी हुई कि बच्चे का अंगूठा बच गया और उसने 2 से 3 महीने बाद लिखना भी शुरू कर दिया”।
सर्जरी की मुश्किलों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हाथ के सर्जनों को आम तौर पर ब्लड वेसेल्स की मरम्मत या उन्हें जोड़ना होता है । इन ब्लड वेसेल्स का व्यास एक मिलीमीटर से कम होता है और इन वेसेल्स को माइक्रोस्कोप के तहत धागों से सिला जाता है । ये धागे हमारे बालों की तरह छोटे और पतले होते हैं ।
डॉ० अजीत तिवारी ने कहा कि एक कटे हुए अंग को जोड़ने के लिए केवल कुछ जानकारी और समय पर कार्रवाई की जरुरत होती है ।
उन्होंने कहा, “हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में चारा काटने की मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए गाँवों में हाथ या उंगलियों का कटना बहुत आम है । अगर कटे हुए अंगों को 6 घंटे के भीतर हॉस्पिटल में लाया जाता है,तो सर्जन सफलतापूर्वक उन्हें ठीक कर सकता है । हमें कटे हुए हिस्सों को गीले कपड़े से ढक देना चाहिए और एक पॉलिथीन बैग में रख देना चाहिए । इस बैग को बहुत सारे बर्फ के साथ एक अलग पॉलीथिन बैग में रखा जाना चाहिए । यह अंग को तरोताजा रखता है और किसी भी प्रकार के अन्य संक्रमण से बचाता है ।”
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल,कानपुर के एमडी डॉ अतुल कपूर ने हैण्ड सर्जरी के स्कोप के बारे में बात करते हुए कहा,‘सर्जरी और इलाज का दायरा सिर्फ हाथ तक ही सीमित नहीं है । कोहनी और कलाई सहित पूरे हाथ में सर्जरी की जा सकती है । हमारे हॉस्पिटल में हमारे पास डॉक्टरों की एक समर्पित टीम है जो हाथ और ऊपरी अंग की मामूली और बड़ी चोटों का इमरजेंसी में इलाज करती है । हमने बड़े और छोटे अंगो के कटाव, माइक्रोवैस्कुलर रिकंस्ट्रकटिव सर्जरी,कोहनी के अस्थिर रहने पर उसका इलाज और कठोर हो चुक कोहनी आदि का सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी को अंजाम दिया है”।
हैण्ड सर्जरी दिवस पर हॉस्पिटल का उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य को जागरूक भी करना है कि अगर मरीज को टेर्तियरी सेंटर में नहीं भेजा जा सकता है या टेर्तियरी सेंटर में रेफर नही किया जाता है या चोट बहुत मामूली होती है तो देखभाल करने वालों को एडिमा की रोकथाम,स्प्लिंटिंग और चोट की जगह को स्वच्छ रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए । रीजेंसी कानपुर के डॉक्टरों का कहना है कि वे हाथ की चोटों के बारे में न केवल जनता के बीच बल्कि सामान्य डाक्टरों तथा आर्थोपेडिक सर्जनों के बीच भी जागरूकता फैलाना चाहते हैं ताकि जब उनके पास ऐसे केस आये तो उन्हें पता चल सके कि कब क्या करना है ।