
बकेवर/फतेहपुर । श्रीमद् भागवत कथा के व्यास पीठ पर आसीन राजेश अवस्थी कथा में सातवें व अंतिम दिवस के अवसर पर भगवान के मथुरा आगमन,कंस वध,देवकी-वसुदेव जी को कारावास से मुक्ति एवं माता देवकी एवं भगवान श्रीकृष्ण के मिलन, कृष्ण जी द्वारा राधाजी की परीक्षा,देवकी के नाम यशोदा का संदेश,बृजवासियों ,यशोदा एवं राधा की विरह वेदना का उद्धव प्रसंग के माध्यम से सुंदर चित्रण किया गया । कथा की समाप्ति सुदामा चरित प्रसंग की कथाओं को श्रवण कर श्रोताओं को भक्ति रस में सराबोर होने का अवसर मिला । कथा में व्यास जी ने पुत्र और मां के बीच के प्रेम के बारे में बताया । इस कथा में उन्होंने बताया किस तरह भगवान जब देवकी जी से मिले और देवकी के अपार प्रेम के बाद भी वह अपनी माता यशोदा को नजरअंदाज नहीं कर पाए और भगवान असमजंस में पड़ गए कि वह अपनी दोनो माताओं में से किसके प्रति समर्पित हों । इस पर व्यास ने कहा कि यदि एक मां अपने हाथ से अपने पुत्र को खाना परोस दे तो वह पुत्र तृप्त हो जाता है । ठीक उसी तरह जिस तरह मघा नक्षत्र में पानी के बरसने से पृथ्वी तृप्त होती है ।
कथा के अगले संदर्भ में गौ दान के महत्व के बारे में वर्णन से बताया । उन्होंने बताया कि गौ दान का हमारे जीवन में क्या महत्व है । प्रत्येक प्राणी को जीवन में गौ दान जैसे पुन: कार्य अवश्य करना चाहिए । भागवत कथा के अंतिम दिन श्रोताओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज हुई ।
इस अवसर पर व्यवस्थापक शिवकरण निषाद, प्रभात तिवारी, नीरज तिवारी, श्री कांत निषाद, दिनेश त्रिवेदी लोग एवं भारी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे ।