
संवाद सूत्र रवीन्द्र त्रिपाठी
– अमिट स्मृतियां छोड़ पंचतत्व में विलीन हुए जनसेवक,बड़े बेटे आशीष ने दी मुखाग्नि
फतेहपुर । पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री अमरजीत सिंह जनसेवक शुक्रवार दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गए । जिले के बिन्दकी तहसील के अदमापुर संदीपनी इंटर कालेज में लोगो ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी । बड़े बेटे आशीष सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी । इस दौरान वहां मौजूद सभी लोग हाथ जोड़े खड़े रहे।सभी की आंखों में आंसू थे । जनसेवक का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न किया गया । इससे पहले सुबह उनकी पार्थिव देह फूलों से सजे तोपगाड़ी में उनके घर कानपुर पांडुनगर से गाँव अदमापुर लाई गई । यहां दोपहर 12 बजे तक अनेक नेताओं समेत सैकड़ों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की । अंतिम यात्रा जिले की सीमा छिवली से बड़ाहार,औंग,चौडगरा,पहुर तिराहा,खजुहा तिराहा मे हजारो लोगो ने पैदल चल पड़े और पुष्प अर्पित किये ।
इस दौरान जब तक सूरज चाँद रहेगा जनसेवक तेरा नाम रहेगा के नारे लगे । यात्रा गाँव पहुची तो गाँव के बड़े बूढे सैकड़ों लोगों ने अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन किए । वहाँ से पैदल यात्रा संदीपनि स्कूल पहुची जहाँ केंद्रीय मंत्री साध्वी निरजन ज्योति,बिन्दकी विधायक जय कुमार सिंह जैकी, जहानाबाद विधायक राजेंद्र पटेल,खागा विधायक कृष्णा पासवान,सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम,जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष रामेश्वर दयाल दयालु गुप्ता,समरजीत सिंह ,महेंद्र बहादुर बच्चा,जीनियस प्रेस एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के प्रदेश सचिव रवींद्र त्रिपाठी,लक्ष्मीचन्द्र ओमर मोना,समाजसेवी आलोक गौड़, ब्लाक प्रमुख भिटौरा अमित तिवारी,प्रतिनिधि मलवा रमनजीत सिंह, पूर्व प्रमुख सुरेंद्र सिंह ,जितेंद्र सिंह जीतू ,पूर्व विधायक करन पटेल, किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान,रुद्रपाल सिंह, रिंकू,सिंह,मनोज सिंह,मंत्री अजीत पाल,मधुराज विश्वकर्मा,कुश वर्मा ,राजाभान सिंह,रोहन श्रीवास्तव,आशुतोष अग्निहोत्रि,मुन्नालाल सोनकर सहित क्षेत्रीय तमाम गणमान्य लोगो व विभिन्न दलों, गाँव- गाँव से पहुँचे लोगो ने श्रद्धाजली दी ।
सीओ बिन्दकी सुशील दुबे व उप जिलाधिकारी अनिल यादव ने श्रद्धाजली दी । राजकीय सम्मान के साथ गार्ड आफ सलामी दी गई । अंत्येष्टि से पहले श्रद्धांजलि देने के लिए लोग पहुँचते रहे । पार्थिव शरीर पर लिपटे भाजपा के झंडे को हटा कर पौत्र ऋषभ सिंह को सौपा गया तो उस पल अत्येष्टि स्थल पर मानों घड़ी की सुई कुछ देर के लिए थम गई पूरा माहौल गमगीन था बेटे, पौत्र और परिवार के लोग ही नहीं अत्येष्टि स्थल पर मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू थे ।