फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक बार फिर कहा है कि कथित चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट को लेकर किसी को भी कोताही नहीं बरतनी चाहिए ।
इराक़ के बग़दाद में हुए एक सम्मेलन में शिरकत करते हुए मैक्रों ने कहा कि “हम सभी को पता है कि इस्लामिक स्टेट अभी भी बड़ा ख़तरा बना हुआ है और उसके ख़िलाफ़ हम अपनी सुरक्षा कम नहीं कर सकते ।”
उन्होंने कहा कि चरमपंथी समूहों के ख़िलाफ़ लड़ना उनकी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है ।
गुरुवार को अफ़ग़ानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी इस्लामिक स्टेट की अफ़ग़ान ब्रांच ने ली थी । इस हमले में क़रीब 170 लोगों की मौत हुई थी ।
शनिवार को इराक़ में मध्यपूर्व के कुछ देशों की एक अहम बैठक हुई जिसमें इस इलाक़े की शांति और स्थिरता को लेकर चर्चा की गई । बैठक में मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल-सीसी के साथ-साथ जॉर्डन के सुल्तान अब्दुल्ला और क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद अल-थानी शामिल हुए । कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात के आला अधिकारी और तुर्की के विदेश मंत्री भी इस बैठक के लिए बग़दाद पहुंचे ।
एक इराक़ी अधिकारी के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कहा है कि उन्हें कूटनीतिक हल की उम्मीद नहीं है ।
उन्होंने समाचार एजेंसी से कहा कि “बातचीत के लिए सभी देशों के आमने-सामने ले कर आ सके, तो ये हमारे लिए उपलब्धि होगी ।”
रॉयटर्स के अनुसार मध्यपूर्व में एक तरफ ईरान है, तो दूसरी तरफ अमेरिका, इसराइल और कुछ अरब देश जिनके बीच में इस इलाक़े पर प्रभुत्व रखने का कंपीटीशन जारी है ।
इन देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों का असर इलाक़े से होने वाले कच्चे तेल की सप्लाई पर भी पड़ा है । हाल में सऊदी अरब ने ईरान पर उसके तेल संयंत्रों पर हमला करने का आरोप लगाया था, जिससे ईरान ने इनकार किया था ।