
कानपुर । नरवल तहसील क्षेत्र के अंतर्गत चैत्र नवरात्र को लेकर जगह-जगह मंदिरों में माता के भक्त उत्साह पूर्वक पर्व मना रहे है । नवरात्र के पहले दिन देवी मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ने लगा । यहां सुबह से ही हाथों में पूजा की थाली लिए श्रद्धालु मंदिरों की ओर जा रहे थे । घंटे व घड़ियालों की भक्ति धुन के बीच मंदिरों में माता की पूजा हो रही थी माता की जय जयकार से मंदिर परिसर गूंजने लगे । कानपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित महुआगांव में सैकड़ों वर्ष पुराना व प्राचीन मां फुलमती मंदिर स्थापित है ।
गांव निवासी भक्त राजेश सिंह ने बताया कि बुजुर्ग बताते हैं कि मां फूलमती का मंदिर हजारों वर्ष पुराना है । यह मंदिर मंदिर राजा जयचंद के समय का बना हुआ बताया जाता है,मां फूलमती सात बहनें हैं । माता फूलमती और मां काली की मूर्ति महुआ गांव में स्थापित है । कोई मंदिर के विषय में जानकारी लोग बताते हैं कि पांच बहनों का मंदिर कन्नौज जिले में स्थापित है । नवरात्रि के दिनों में मंदिर में माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते है । बता दे राजा जयचंद उत्तर भारत के गाहड़वाल वंश के एक राजा थे ।
उन्होंने गंगा नदी के पास में बसे कान्यकुब्ज और वाराणसी सहित अंटारवेदी देश पर शासन किया । यूपी और बिहार के कुछ भागों पर राज किया था। मंदिर के पीछे एक किला था । राजा जयचंद इसी किले में विश्राम किया करते थे । राजा जयचंद मां फूलमती के दर्शन करके युद्ध के लिए जाते थे । यह मंदिर पुराना प्रसिद्ध होने की वजह से दूर-दूर से माता के भक्त दर्शन के लिए आते है । माता सबकी मनोकामना पूरी करती है ।
महुआगांव निवासी भक्त अनिल विश्वकर्मा ने बताया कि नवरात्र पर्व को लेकर माता फूलमती मंदिर में नौ दिन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है । मान्यता है कि माता के परिसर से कभी भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटते,भक्तों की सच्चे दिल से मांगी हुई हर मनोकामना पूरी करती है । मां फूलमती गांव की कुलदेवी है । यहां नवरात्र के दिनों में ग्रामीणों द्वारा मुंडन-छेदन संस्कार किए जाते है नवरात्र की दशमी को मंदिर प्रांगण में ग्रामीणों के सहयोग से रामलीला का आयोजन किया जाता है । आस पास गांव समेत दूर-दूर के लोग रामलीला कार्यक्रम को देखने के लिए आते है ।