
फतेहपुर । अब समयावधि के अंदर अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपनी सम्पत्ति का विवरण नही दिया तो उनकी खैर नहीं है । विवरण न देने वाले लोगों पर कडी अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी । शासन के बार-बार के निर्देशों के बाद भी अधिकारियों-कर्मचारियों ने मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण अपलोड नहीं किया है । सरकार द्वारा अब ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है । जो अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण नहीं दे रहे हैं । हालत यह है कि अंतिम तिथि निकल जाने के बावजूद विवरण अपलोड करने वालों का डाटा एक फीसदी भी नहीं है ।
अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने अधिकारियों को पत्र जारी कर 30 जून तक अनिवार्य रूप से डाटा भराने को कहा है । अन्यथा ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्रवाई किए जाने के भी निर्देश दिए हैं । फतेहपुर जिले के एक दर्जन विभागों के एक सैकड़ा से अधिक अधिकारी-कर्मचारी पहले ही आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में विजिलेंस की राडार पर चल रहे हैं । शायद यही एक बड़ा कारण है । दौलत का पिटारा खुलने के भय से संपत्ति का डाटा कर्मचारियों द्वारा नहीं भरा जा रहा है ।
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने को लेकर शासन का यह फरमान फिल हाल रंग नहीं दिखा पा रहा है । भले ही जीरो टॉलरेंस की बात की जा रही हो लेकिन सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार जिस तरह से बड़ा हुआ है । उससे आम आदमी परेशान है । लेकिन अधिकारियों कर्मचारियों की मजे हैं । आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले ये कर्मचारी अपनी पोल खुलने के डर से संपत्तियों का विवरण नहीं भर रहे हैं ।
हलांकि ये चतुर इतने है कि अपनी अवैध कमाई को परिजनों एवं रिश्तेदारों के नाम से भी ले रखे हैं । अब इन्हें बताए कौन कि जब पड़ताल होगी तो कोई बचेगा नहीं । जनपद के एक सैकड़ा से अधिक आधिकारिक-कर्मचारी विभिन्न विभागों के पहले से ही चिन्हित हैं । जिन पर आय से अधिक संपत्ति रखने को लेकर जांच कभी भी हो सकती है । मुट्ठी भर पगार में आलीशान जिंदगी जीने वाले कर्मचारियों पर नकेल डालने पर फिलहाल शासन फेल हुआ है ।
मानव संपदा पोर्टल पर 31 दिसंबर 2023 तक चल-अचल संपत्ति का विवरण भरना था । पूरे प्रदेश में 1778405 अधिकारियों-कर्मचारियों के सापेक्ष अब तक केवल 18600 कार्मिकों ने ही अपनी संपत्ति का विवरण दिया है । यह आंकड़ा इतना कम है कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कर्मचारी किस तरह से मनमानी पर उतारू हैं । जिले में कार्यरत करीब 76 कर्मचारियों ने ही चल-अचल संपत्ति का विवरण भरा है । बांकी का विवरण न भरने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की मनोदशा का अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर वह शासन के आदेशों को हवा में क्यों उड़ाए हैं ? मंशा साफ है कि इकट्ठा की गई संपत्ति का खुलासा आखिर वह कैसे करें ?
मानव संपदा पोर्टल पर इनकी संपत्ति का डाटा अपलोड होने के बाद जांच का दायरा विस्तृत होगा और निश्चित रूप से ये कार्रवाई की जद में आएंगे । अभी भी राजस्व ,लोकनिर्माण ,राजस्व, विकास एआरटीओ,विद्युत,स्वास्थ्य,आरईएस,सिंचाई सहित दर्जन भर विभागों के एक सैकड़ा से अधिक अभियंता,जेई,ग्राम पंचायत सचिव एवं लिपिक विजिलेंस की राडार में हैं । इनकी जांच कब शुरू हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता । अब एक बार फिर मानव संपदा पोर्टल पर राज्य कर्मचारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण भरने को लेकर 30 जून की डेड लाइन दी गई है । अपर मुख्य सचिव डॉक्टर देवेश चतुर्वेदी ने 06 जून को सभी अपर मुख्य सचिव,प्रमुख सचिव,सचिव एवं विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर निर्देशित किया है कि संपत्ति का विवरण न भरने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को 01 जनवरी 2024 के बाद होने वाली विभागीय पदोन्नति से दूर रखा जाए और इन्हें कार्रवाई की जद में लाया जाए । अब देखना है कि शासन के जारी हुए नए फरमान का असर यहां के घाघ कर्मचारियों पर कितना पड़ता है ?