
जून 17, सोमवार 2024 | 10:09 AM |
नई दिल्ली । हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है । जिस प्रकार सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित होता है,वैसे ही एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है । इस दिन श्री हरि की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । एक साल में पूरी 24 एकादशी आती हैं,जिनमें निर्जला एकादशी का व्रत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है । ऐसा कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी 24 एकादशियों का फल मिलता है ।
निर्जला एकादशी के व्रत में एक बूंद भी पानी नहीं पिया जाता है । इस व्रत को काफी कठिन माना जाता है । व्रत के साथ ही निर्जला एकादशी के कठोर नियम भी होते हैं । अगर आप भी एकादशी व्रत करने जा रहे हैं तो निर्जला एकादशी व्रत का पारण कैसे और कब करना है यह पता होना जरूरी है । साथ ही जानते हैं व्रत खोलने से पहले किन बातों का ध्यान रखना होता है ।
निर्जला एकादशी व्रत 2024 कब है:
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को सुबह 4 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी । एकादशी तिथि का समापन 18 जून को सुबह 7 बजकर 28 मिनट पर होगा । उदया तिथि को देखते हुए निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून 2024, मंगलवार को रखा जाएगा । जो भी व्यक्ति साल की सभी चौबीस एकादशियों का उपवास नहीं रख पाया है, वो निर्जला एकादशी का व्रत रखकर उन सभी 24 एकादशी का फल पा सकते हैं । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत करने से दूसरी सभी एकादशियों का लाभ मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है ।
निर्जला एकादशी व्रत का पारण कब है:
निर्जला एकादशी 2024 पारण का समय- 19 जून दिन बुधवार को सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 7 बजकर 28 के बीच किया जाएगा ।
निर्जला एकादशी व्रत का पारण कैसे करें:
निर्जला एकादशी के व्रत का पारण पूरे नियम के साथ किया जाता है ।
व्रत पारण वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनकर सूर्यदेव को जल दें ।
द्वादशी तिथि पर व्रत खोलने से पहले व्रती को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए ।
पूजा के दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना भी महत्वपूर्ण माना गया है ।
इसके बाद भगवान विष्णु के सामने हाथ जोड़कर व्रत के दौरान हुई भूल-चूक के लिए माफी मांगे ।
द्वादशी तिथि के दिन सूर्य को जल अर्पित करने और विष्णु जी की पूजा के बाद ही व्रत खोल सकता है ।
द्वादशी वाले दिन व्रत खोलने के बाद भोजन में चावल अवश्य होने चाहिए ।
चावल ग्रहण करने के बाद ही कोई अन्य चीजें खानी चाहिए । इस व्रत का पारण चावल खाने से ही होता है ।
व्रत खोलने के बाद चावल का दान करना भी शुभ माना गया है । इसलिए किसी जरूरतमंद को चावल व दक्षिणा जरूर दान करें ।
निर्जला एकादशी व्रत नियम:
निर्जला एकादशी का व्रत बिना भोजना और पानी के रखा जाता है । इस व्रत में पानी बिल्कुल भी नहीं पिया जाता है, इसलिए इसे निर्जला व्रत कहते हैं । एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद इसका पारण किया जाता है । एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी होता है । अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए । द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना पाप करने के समान होता है ।