
कोरबा/पाली । छत्तीसगढ़ के तात्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जर्जर स्कूल,मरम्मत योग्य स्कूल, अतिरिक्त कक्ष के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की शुरुआत की थी । जिसके तहत कोरबा जिले को भी लाखों- करोड़ों रुपए आवंटित किए गए लेकिन संबंधित अफसरों की शिथिलता और निचले स्तर के अधिकारियों के कारगुजारियों के चलते स्कूलों के जर्जर भवनों की मरम्मत का कार्य नही कराया गया । लिहाजा स्कूली बच्चे जर्जर भवनों में बैठ कर शिक्षा लेने को मजबूर है ।
विद्यालयों में शिक्षण सत्र शुरू हो गया है । लेकिन स्कूलों के खस्ता हाल भवनों को देख पालक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे है । ऐसा ही एक मामला पाली विकास खण्ड शिक्षाधिकारी कार्यालय अंतर्गत ग्राम पंचायत बतरा का सामने आया है । यहां स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला का निर्माण विगत वर्ष 2007- 08 में हुआ । जहां इस विद्यालय में प्रधानाचार्य, शिक्षक, शिक्षिका सहित स्कूली बच्चों के लिए समुचित व्यवस्थाएं तो करायी गई । लेकिन निर्माण के बाद से इस भवन को रंगाई-पोताई के अलावा आजतक दुरुस्त नही कराया जा सका है । आलम यह है कि स्कूल भवन अत्यंत जर्जर हो चुका है स्कूल की छत व दीवारों से जगह-जगह प्लास्टर उखड़ रहा है । वर्षाकाल में दीवारों में सीलन भी हो गया है । छत से बरसात का पानी भी टपकता है । इस स्कूल में गांव के करीब 200 बच्चे अध्यनरत हैं । स्कूल के भीतर बिल्डिंग व दीवारों की हालत देख पालकों की सांसे थम गई और उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से मना कर दिया । जिस कारण सप्ताह भर से अधिक दिनों से बच्चे स्कूल नही जा रहे है और जिनके बच्चे पढ़ने जा भी रहे है उनकी जान सांसत में बनी हुई है तथा शिक्षक के साथ अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है । यहां के शिक्षकों ने बताया कि भवन की हालत काफी खराब हो चुकी है व विद्यालय का छत बेहद जर्जर होने के कारण प्लास्टर जॉइंट छोड़ रही है । क्लास रूम,कार्यालय में बरसात का पानी टपकने से जहां बेहद परेशानी हो रही है । वहीं स्कूल के जरूरी कागजात व अन्य सामान भीग जाता है। जिन्हें तिरपाल से ढकना पड़ता है ।
शिक्षकों ने आगे बताया कि स्कूल के जर्जर हालत को लेकर खंड शिक्षाधिकारी एसएन साहू को जानकारी दी गई । तब उनके द्वारा निरीक्षण पश्चात स्कूल में ताला लगाने व एक किलोमीटर दूर लहरा पारा स्थित रिक्त पड़े एक शाला भवन में अध्यापन कार्य संचालित कराने के निर्देश दिए है किंतु अभिभावक अपने बच्चों को लहरापारा स्कूल नही भेजना चाह रहे जिस कारण वे अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भी नही भेज रहे है ।
वहीं पालकों ने विरोध जताते हुए कहा है कि बतरा में संचालित सोसायटी भवन व पंचायत कार्यालय को पूर्व में ग्राम लहरापारा स्थानांतरित कर संचालन किया जा रहा है । अब माध्यमिक शाला को भी लहरापारा में संचालित करने की योजना बनाई गई है । ऐसे में हमारे बच्चों को पढ़ने के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा । हम अपने बच्चों को वहां पढ़ने के लिए नही भेजेंगे । पालकों द्वारा पुराने भवन को तोड़कर नया शाला भवन बनाने की मांग को लेकर अड़े हुए है । इस हालात में माध्यमिक शाला के शिक्षकगण भी पेशोपेश में है कि आखिर करें तो करें क्या। दूसरी ओर स्कूल न जाने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है । जिला प्रशासन को इस ओर ध्यानाकर्षित कर उचित पहल की आवश्यकता है ताकि इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई पिछड़ने न पाए ।